भाजपा दलितों पिछड़ों आदिवासियो की जन्मजात विरोधी : मनीष वर्मा
सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के जिला अध्यक्ष/महानगर अध्यक्ष मनीष वर्मा ने नये संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्पति को न बुलाना ओबीसी का अपमान बताया। मनीष वर्मा का कहना है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से न कराना राष्ट्रपति पद का अपमान है।बीजेपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराकर उनके पद का अपमान किया है। राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन किया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है। यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के जिला अध्यक्ष/महानगर अध्यक्ष मनीष वर्मा ने कहा की पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है। केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वो भारत की प्रथम नागरिक हैं। भाजपा दलितों पिछड़ों आदिवासियो की जन्मजात विरोधी है। महामहिम के अपमान का यह दूसरा मामला हैं। पहला अपमान प्रभु श्रीराम के मंदिर शिलान्यास में श्री रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया। दूसरा अपमान संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू जी को न बुलाना हैं। संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है। यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है। यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। प्रधानमंत्री मोदी शायद यह नहीं समझते।