सफला एकादशी व्रत कथा : एकादशी व्रत पारण से पहले जरूर कर लें इस कथा का पाठ, मोक्ष प्राप्ति की है मान्यता
Safla Ekadashi 2021 Vrat Katha : आज पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी पर विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। एकादशी व्रत पारण अगले दिन किया जाता है। सफला एकादशी व्रत का पारण 31 दिसंबर को किया जाएगा। धार्मिक मान्याताओं के अनुसार एकादशी व्रत पर व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आगे पढ़ें एकादशी व्रत कथा….
सफला एकादशी व्रत कथा-
व्रत की कथा अनुसार चम्पावती नगरी में महिष्मत नाम के राजा के पांच पुत्र थे। बड़ा पुत्र चरित्रहीन था और देवताओं की निन्दा करता था। मांसभक्षण और अन्य बुराइयों ने भी उसमें प्रवेश कर लिया था, जिससे राजा और उसके भाइयों ने उसका नाम लुम्भक रख राज्य से बाहर निकाल दिया। फिर उसने अपने ही नगर को लूट लिया। एक दिन उसे चोरी करते सिपाहियों ने पकड़ा, पर राजा का पुत्र जानकर छोड़ दिया। फिर वह वन में एक पीपल के नीचे रहने लगा। पौष की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन वह सर्दी के कारण प्राणहीन सा हो गया।
अगले दिन उसे चेतना प्राप्त हुई। तब वह वन से फल लेकर लौटा और उसने पीपल के पेड़ की जड़ में सभी फलों को रखते हुए कहा, ‘इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु प्रसन्न हों। तब उसे सफला एकादशी के प्रभाव से राज्य और पुत्र का वरदान मिला। इससे लुम्भक का मन अच्छे की ओर प्रवृत्त हुआ और तब उसके पिता ने उसे राज्य प्रदान किया। उसे मनोज्ञ नामक पुत्र हुआ, जिसे बाद में राज्यसत्ता सौंप कर लुम्भक खुद विष्णु भजन में लग कर मोक्ष प्राप्त करने में सफल रहा।
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पारणा समय-
- 31 दिसम्बर को 07:14 ए एम से 09:18 ए एम
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 10:39 ए एम