राज्य में फलफूल रहा अवैध खनन का धंधा : करन माहरा
उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दिये गये अपने निर्णय के पैरा 25 में की गई टिप्पणी बहुत ही गम्भीर है।
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भाजपा सरकार को खनन माफिया, शराब माफिया के हाथों की कठपुतली बताते हुए कहा कि राज्य में अवैध खनन का धंधा फलफूल रहा है तथा खनन माफिया द्वारा आये दिन हत्या की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में भारी मात्रा में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है तथा सरकार खनन माफियाओं के दबाव में काम कर रही है। करन माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार खनन और शराब माफियाओं के हाथों की कठपुतली बन चुकी है। अवैध खनन कारोबारियों द्वारा कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा की हत्या की सुपारी देने का मामला बीते दिनों पहली बार सामने आया। पूर्व में निजी भूमि पर समतलीकरण के लिए माइनिंग प्लान (आर.पी.क्यू.) बनाकर खनन की इजाजत दी जाती थी, जिसमें जियोलॉजिकल रिपोर्ट तथा पर्यावरण क्लीयरेंस जरूरी था तथा यह भी देखा जाता था कि इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पडेगा। खनन की इजाजत नीलामी द्वारा दी जाती थी जिससे खनन विभाग तथा सरकार को राजस्व के रूप में आर्थिक लाभ पहुंचता था। खनन में वन निगम के रेट 32 रूपये प्रति कुन्तल, गढ़वाल मण्डल विकास निगम एवं कुमाऊं विकास निगम के रेट 24 रूपये प्रति कुन्तल हैं। खनन का कार्य खुली नीलामी के माध्यम से दिया जाता है जिससे रेट 32 से 40 रूपये प्रति कुन्तल के बीच रहते हैं। इस प्रथा से जहां निगमों को आय होती थी वहीं सरकार को जी.एस.टी. तथा जिला न्याय के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती थी। पूर्व में खुली नीलामी की प्रक्रिया में रेता (आर.बी.एम.) 32 से 40 रूपये प्रति कुन्तल में लिया जाता था वहीं अब कुछ पहुंच वाले लोगों को मात्र 7 से 8 रूपये प्रति कुन्तल मे मिल रहा है। पूर्व में नदियों में जितनी मात्रा में प्रतिवर्ष खनन होता था वह इस नीति के आने के बाद नहीं हो पा रहा है। अकेले कोसी, गौला, चोरगलिया, दाबका जैसी नदियों में 5500 ट्रांस्पोर्टरों की 14000 गाडियां रजिस्टर्ड हैं जिनके कारोबार में इस नीति के कारण विपरीत प्रभाव पड़ा है। अमूमन जून माह में खनन बन्द होने के समय वे लोग अपनी गाड़ियां जमा कर देते थे तथा 1 अक्टूबर से जब खनन पुनः शुरू होता था त बवे अपनी गाडियों का फिर से रजिस्ट्रेशन कराते थे। परन्तु इस वर्ष यह देखने को नहीं मिला है जो खनन कारोबार में विपरीत प्रभाव पडने के स्पष्ट संकेत देता है। इससे न केवल राज्य को राजस्व की हानि हुई है अपितु खनन व्यवसाय से जुड़े ट्रांसपोर्टरों और मजदूरों के पेट पर भी लात पडी है। उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दिये गये अपने निर्णय के पैरा 25 में की गई टिप्पणी बहुत ही गम्भीर है। जिसमें मा0 न्यायालय ने कहा है कि हम पहले ही देख चुके हैं कि जहां तक हरिद्वार और अन्य क्षेत्रों का संबंध है, जहां तक जिला नैनीताल का संबंध है, गौण खनिजों आरबीएम के लिए निर्धारित दर केवल 7 रुपये प्रति टन है। हम आगे पाते हैं कि महानिदेशक, भूविज्ञान और खनन इकाई की सिफारिश पर दिए जाने वाले लाइसेंसों की संख्या में कोई ऊपरी सीमा नहीं है। इस संबंध में महानिदेशक, भूविज्ञान एवं खनिकर्म इकाई को पूर्णतः निर्देशित एवं अप्रतिबंधित शक्ति निहित है, जिसके फलस्वरूप जिला नैनीताल में ही संशोधित नियम 3 के अन्तर्गत 43 अनुज्ञप्ति प्रदान की गई है। पूरे राज्य में, जिसमें 13 जिले हैं, संख्या सैकड़ों में हो सकती है। हमें यह देखकर दुख होता है कि राज्य जिस तरह से अपने बहुमूल्य संसाधनों का दोहन कर रहा है, वह मुश्किल से ही लौट रहा है। माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा खनन नियमावली के अंतर्गत निजी नाप भूमि पर चुगान की अनुमति देने से संबंधित नीतिगत अधिसूचना को रद करने से स्पष्ट होता है कि सरकार ने खनन माफिया के दबाव में नई खनन नीति बनाई है। 50 हजार रूपये के इनामी जफर की खोज में आई उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जसपुर के ज्येष्ठ उपप्रमुख श्री गुरताज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर की हत्या की जाती है। काशीपुर के कुण्डेश्वरी में शूटरों द्वारा खनन व्यवसायी पूर्व प्रधान मेहर सिंह की हत्या। इससे पूर्व खनन माफिया द्वारा रूड़की में लक्सर एसडीएम श्रीमती संगीता कनौजिया की डंपर सेकुचल कर हत्या। डीआईजी कुमाऊं नीलेश भरणे द्वारा मुरादाबाद मण्डल के पुलिस अधिकारी को लिखे पत्र में कुंडा प्रकरण में उत्तराखण्ड राज्य पुलिस को विश्वास में नहीं लेने की बात कही जाती है। अब उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारें इस मामले में एक दूसरे की पीठ खुजाती दिख रही हैं। इसी प्रकार अंकिता हत्याकांड में भाजपा नेता के रिसाॅर्ट पर बुलडोजर फिराने के आदेशों को लेकर भी जिला स्तरीय अधिकारी पलटी खाते दिखाई दिये। शांतिपुरी में 14 मई 2022 को दिनदहाड़े गोली मारकर शांतिपुरी नंबर 3 निवासी खनन कारोबारी और भाजपा नेता संदीप कार्की की हत्या कर दी गई थी। शांतिपुरी क्षेत्र में ही खनन कारोबारी शांतिपुरी नंबर दो निवासी मुकू टाकुली पर फायर किया था। शांतिपुरी से अवैध खनन की रंजिश में शक्तिफार्म क्षेत्र में दिनदहाड़े शक्तिफार्म आनंदनगर निवासी पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रताप बिष्ट को गोलियों से भून दिया गया था। इससे पूर्व 28 सितंबर 2001 को बेरीनाग निवासी हरीश रावत की शांतिपुरी मुख्य बाजार के समीप गोली मारकर हत्या की गई थी। देहरादून, रूड़की तथा हरिद्वार में अवैध रूप से बेची जा रही जहरीली शराब काण्डों ने कई जिन्दगियां लीली हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य में बिगडती कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा किः- उत्तराखण्ड राज्य में घट रही अपराध की घटनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य की कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा चुकी है तथा अपराधियों के मन में कानून का भय समाप्त हो गया है। उत्तराखण्ड राज्य में पिछले 1 महीने में घटी अपराध की घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड पुलिस का स्तर कहां पहुंच गया है। समाज के अराजक तत्व और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों में उत्तराखंड पुलिस प्रशासन का डर और भय समाप्त होता हुआ साफ दिखाई पड़ रहा है. केदार भंडारी 19 साल का युवा जो आंखों में सपने लेकर आया था अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने के लिए अचानक चोरी के इल्जाम में पुलिस पकड़ कर ले जाती है और केदार गायब हो जाता है अगर पुलिस ले गई तो वह भागा कैसे अब उसके डूबने की मनगढ़ंत कहानी रची जा रही है और लाश का कोई अता पता नहीं। सल्ट के दलित युवक जगदीश की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी जाती है कि उसने अंतरजातीय विवाह किया उनकी निर्मम हत्या देवभूमि को शर्मसार करने वाली घटना थी। घटना से पूर्व श्री जगदीश द्वारा पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा से पुलिस सुरक्षा की मांग भी की गई थी परन्तु उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई इसका सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। ममता बहुगुणा पिछले 3 साल से पौड़ी के श्रीनगर से लापता है। पुलिस प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं कि ममता कहां है और आखिर इस केस की फाइल को दबा क्यों दिया गया। अंकिता भंडारी हत्याकांड पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार के ढीले और लापरवाह रवैए की वजह से राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। भाजपा नेता के रिसोर्ट पर आनन-फानन में बुलडोजर चलवाकर सारे साक्ष्य मिटा दिए गए। अंकिता केस में एक नहीं सैकड़ों सवाल हैं जिनके जवाब अनुत्तरित हैं। उत्तराखंड राज्य में आम आदमी की सुरक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब सरकार अपने ही मंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है तो एक आम आदमी का यहां क्या हाल हो रहा होगा यह समझा जा सकता है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसके अलावा डोईवाला में दिनदहाड़े प्रेमचंद अग्रवाल के चचेरे भाई के वहां डकैती। ममता जोशी बहुगुणा की अपहरण के बाद हत्या 2021 पौडी, 3. पिंकी हत्याकांड, देवाल, चमोली 2021, 4. दलित युवक जगदीश हत्याकांड, सल्ट, अल्मोड़ा 2022, 5. दलित युवक जितेन्द्र दास हत्याकांड, थत्यूड, टिहरी, 6. दलित युवक लखनलाल हत्याकांड, जौनपुर, टिहरी, 7. दलित युवती मनाली हत्याकांड, हर्रावाला, देहरादून, 2021 राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था के जीते जागते उदाहरण हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने यह भी कहा कि कांग्रेस प्रवक्ताओं द्वारा जनहित के मुद्दों को मीडिया और सोशल मीडिया में उठाने पर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी, सूरज नेगी और गणेश उपाध्याय पर झूठे मुकदमे दर्ज किये गये हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए पुलिस के उच्चाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक के इस्तीफे की भी मांग की है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी, प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत, भारत जोड़ो यात्रा मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, प्रदेश महामंत्री ताहिर अली, प्रदेश अनुसूचित जाति अध्यक्ष दर्शन लाल मौजूद थे।