परमार्थ निकेतन में आयोजित योग शिक्षक प्रशिक्षण का समापन
प्राणायाम के माध्यम से श्वास तकनीक और ध्यान की विभिन्न विधाओं का भी अभ्यास कराया।
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित योग शिक्षक प्रशिक्षण में भारत सहित विश्व के कई देशों के योग जिज्ञासुओं ने सहभाग कर योग की विभिन्न विधाओं के साथ ही शरीर विज्ञान और योग के माध्यम से शरीर और विचारों में कैसे सकारात्मक परिवर्तन कर सकते हैं इस विषय पर प्रशिक्षण लिया। योगाचार्य आभा सरस्वती, योग शिक्षक गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, डा इन्दु शर्मा ने योग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान बताया कि विभिन्न आसनों और मुद्राओं के माध्यम से किस प्रकार शरीर को लाभ पहुंचाया जा सकता हैं। साथ ही प्राणायाम के माध्यम से श्वास तकनीक और ध्यान की विभिन्न विधाओं का भी अभ्यास कराया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’अथ योगानुशासनम्।’ अर्थात ‘अब योग का अनुशासन।’ महर्षि पतंजलि कहते हैं जब तक जीवन में अनुशासन का क्षण न आये तब तक योग का अध्ययन करते रहें। योग से न केवल शरीर और मन स्वस्थ और निरोग होता है बल्कि इससे बौद्धिक रूप से सक्षम भी हो सकते हैं। योग केवल अनुशासन का विज्ञान है। योग, जिज्ञासाओं का समाधान करने का, दार्शनिक चिंतन का या अध्ययन करने का शास्त्र नहीं है बल्कि यह तो जीवन को अनुशासन के साथ जीने का शास्त्र है और अनुशासन से तात्पर्य बाहर की व्यवस्थाओं से नहीं है अपने भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना। वास्तव मे हमारे अन्दर अनेक व्यक्तित्व उपस्थित हैं जब जिस तरह का वातावरण मिलता है वह व्यक्तित्व बाहर आ जाता है, देखे तो हमारे भीतर भीड़ हैं। हमारे अन्दर केवल एक ‘मैं, विद्यमान नहीं है बल्कि अनेक मैं हैं और योग हमारे भीतर एक केंद्र का निर्माण करता हैं। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत में योग को राष्ट्रीय और अतंराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिये व्यापक कार्य हुआ है जो कि सराहनीय भी है परन्तु योग को जीवन का अंग बनाने के लिये अभी और कार्य करने की आवश्यकता है। भारत में योग टूरिज्म को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिये। योगमय जीवन शैली को अपनाकर न केवल मानव जीवन में बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी विलक्षण परिवर्तन किये जा सकता है। ओल्गा नज़रेंको, बर्नार्ड कोलस्टर, रितु देवरारी, डेनिएला लीलि, मारिया रोनकोनी, सुज़ाना सेलियोस, इवाना मारिया ज़कारा कुन्हा अरुजो, इशिता तिवारी, अमी आहूजा, ओल्गा पेट्रोवा, पेयस्वनी भसीन, एलेक्जेंड्रा नानो और अन्य योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया।