चार नवंबर को देवउठनी एकादशी : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
तुलसी- सालिग्राम विवाह से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की तीन नवंबर को शाम सात बजे से शुरू हो जाएगी देव उठनी एकादशी। मान्यता अनुसार भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति। देवोत्थान एकादशी देवउठनी ग्यारस प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं देवउठनी एकादशी को।
इस साल चार नवंबर को देवउठनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी है, इस दिन से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन तुलसी-सालिग्राम का विवाह होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, एक महीने में दो एकादशी की तिथियां होती हैं।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा करके बैकुंठ लौटे थे, इस एकादशी को कई नामों से जाना जाता है जैसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी।
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राजसूय यज्ञ करने से भक्तों को जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, उससे भी अधिक फल इस दिन व्रत करने पर मिलता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा- आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। विगत 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हुआ था।
हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि तीन नवंबर को शाम सात बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी। देवउत्थान एकादशी तिथि का समापन चार नवंबर को शाम छह बजकर आठ मिनट पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक देवउठनी एकादशी चार नवंबर को मनाई जाएगी।