उत्तराखंड समाचार

समग्र चितंन शिखर वार्ता की तैयारियों पर परमार्थ निकेतन में हुई विशेष चर्चा

हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से भी हैं : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज सर्विस
ऋषिकेश, 5 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डाॅ अनिल प्रकाश जोशी की परमार्थ निकेतन में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाली ‘हिमालय समग्र चितंन शिखर वार्ता’ के विषय में विशेष चर्चा हुई।
ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष 9 सितंबर को उत्तराखंड, हिमालय के निवासी सामूहिक रूप से इस दिवस को हिमालय दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन अनेक सामाजिक शैक्षणिक संस्थायें, शोधकर्ता व आम जनमानस विभिन्न गोष्ठियों व आयोजनों के माध्यम से हिमालय को नमन करने के साथ हिमालय के संरक्षण एवं प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प भी लेते हैं। इस वर्ष हिमालय दिवस का आयोजन उत्तराखंड सरकार, हैस्को और परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के द्वारा सम्मिलित रूप से आयोजित किया जा रहा है। जिसमें उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों से पर्यावरण विशेषज्ञ, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और विभिन्न संस्थान सहभाग कर रहे हैं।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिमालय है तो हम है और हिमालय है तो गंगा है। दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है इसलिये अब हमारी बारी है कि हम हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखने हेतु योगदान प्रदान करें।
पद्मश्री डाॅ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हिमालय के प्रति समाज में जागरूकता और सकारात्मकता लाने के लिये ‘हिमालय समग्र चिंतन शिखर वार्ता’ का आयोजन परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य और मार्गदर्शन में किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि हम इस शिखर वार्ता के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल जी, सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, रूचि राय, हैस्को से हिमानी, शिवम और सोनाली उपस्थित थे।

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