अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस : सेवा और समर्पण का पर्याय हैं नर्स
फ्लोरेंस नाइटेंगल रात के समय अपने हाथों में लालटेन लेकर चिकित्सालय का चक्कर लगाया
फरीदाबाद। एनआईटी तीन फरीदाबाद स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड एवम गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। प्रार्थना सभा में स्टाफ एवम बालिकाओं को संबोधित करते हुए मनचंदा ने कहा कि इस वर्ष का थीम नर्स ए वॉयस टू लीड – इन्वेस्ट इन नर्सिंग एंड आदर राइट्स टू सिक्योर ग्लोबल हेल्थ है। उन्होंने बताया कि प्रख्यात नर्स फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय वर्ष 1974 में लिया गया। फ्लोरेंस नाइटेंगल रात के समय अपने हाथों में लालटेन लेकर चिकित्सालय का चक्कर लगाया करती थी। उन दिनों बिजली के उपकरण नहीं थे फ्लोरेंस को अपने रोगियों की इतनी चिंता हुआ करती थी कि दिनभर उनकी देखभाल करने के पश्चात रात को भी वह चिकित्सालय में घूमकर यह देखती थी कि कहीं किसी को उनकी आवश्यकता तो नहीं है। प्राचार्य एवं जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि नाइटिंगेल ने अपना अधिकांश समय घायलों को सांत्वना देने और उनकी देखभाल करने में बिताया। उन्होंने नर्सों के प्रशिक्षक और आधुनिक नर्सिंग के प्रबंधक के रूप में भी प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने अपना पूरा जीवन निर्धनों, रोगियों और दुखियों की सेवा में समर्पित किया। इसके साथ ही उन्होंने नर्सिंग के काम को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलवाया। इससे पूर्व नर्सिंग के काम को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता था। वर्ष 1860 में फ्लोरेंस के अथक प्रयासों का सुखद परिणाम आर्मी मेडिकल स्कूल की स्थापना के रूप में मिला। इसी वर्ष फ्लोरेंस ने नाइटेंगल ट्रेनिंग स्कूल की स्थापना हुई तथा उन्होंने नोट्स ऑन नर्सिंग नाम की पुस्तक का प्रकाशन किया। यह नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए लिखी गई विश्व की पहली पुस्तक है। लेडी बिथ द लैम्प के नाम से प्रसिद्ध आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद में ही यह दिवस मनाया जाता है। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि अधिक मांग और आवश्यकता से पेशेवरता भी बढ़ी है नर्स भी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जैसे सभी पहलुओं के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित और अनुभवी हैं। आज कोरोना महामारी के समय में नर्सस भी अपनी भूमिका को तत्परता से निभा रही हैं। देश में महानगरों और बड़े शहरों में चिकित्सा व्यवस्था बेहतर होने के कारण वहां पर नर्सों की संख्या में इतनी कमी नहीं है जितनी छोटे शहरों और गांवों में हैं। आज प्रातः असेंबली में छात्रा निर्मला, चंचल, भूमिका, महक, पायल और प्राध्यापिका पूनम ने भी अपने विचार सांझा किए तथा छात्राओं सिया, अंजली, निशा, हर्षिता और खुशी ने सुंदर पेंटिंग बना कर नर्स के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।