ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बनाए गए मानकों का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश
देश के कई हिस्सों में लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर उठे विवाद
देहरादून। देश के कई हिस्सों में लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर उठे विवाद के बाद उत्तराखंड सरकार ने इस दिशा में सक्रियता दिखाई है। सरकार ने लाउडस्पीकर समेत सभी तरह के ध्वनि प्रदूषण के मामलों पर मई 2021 में कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को सख्ती से लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। शासन ने सभी जिलाधिकारियों को ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बनाए गए मानकों का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारियों को कहा गया है कि इसके लिए पूर्व में जो व्यवस्था बनाई गई है, उसे धरातल पर उतारा जाए।
उत्तराखंड में सरकार ने बीते वर्ष मई में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम बनाए थे। इसमें शांत क्षेत्र, आवासीय, वाणिज्यिक व औद्योगिक क्षेत्र में दिन व रात के समय के लिए ध्वनि के अलग-अलग मानक निर्धारित किए गए। नियमों के उल्लंघन पर एक हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। प्रेशर हार्न का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है।
इन नियमों का अनुपालन करने के लिए तहसीलदार स्तर से उच्च स्तर के अधिकारियों की तैनाती का प्रविधान है। यह भी साफ किया गया है कि आपातकाल, किसी व्यक्ति व जीव की प्राणरक्षा, चुनाव प्रक्रिया और राष्ट्रीय व राज्य उत्सव के दौरान विभिन्न क्षेत्र व जोन में निर्धारित ध्वनि का स्तर इस दशा में मान्य नहीं होगा। शांत क्षेत्र में परीक्षाओं के आयोजन से तीन दिन पहले से परीक्षा समाप्त होने तक लाउउस्पीकर के उपयोग की अनुमति न देने का भी प्रविधान है।
बीते वर्ष कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी मशीनरी के व्यस्त होने के कारण इन मानकों का अनुपालन नहीं कराया जा सका। अब इनका अनुपालन करने को कवायद तेज हो गई है। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण आनंद वद्र्धन ने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे ध्वनि प्रदूषण से संबंधित मानकों का सख्ती से अनुपालन कराना सुनिश्चित करें। इसके लिए जो व्यवस्था बनाई जानी है, उस पर कदम उठाए जाएं।