पतंजलि के साथ मिलकर जैविक कृषि के क्षेत्र में करेंगे बड़ा कार्य : जोशी
कृषि विभाग के अधिकारियों को 100 दिन में अपनी वर्क रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
हरिद्वार : कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आचार्य बालकृष्ण और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रदेश में कृषि संबंधी समस्याओं और उनके समाधान में पतंजलि की भूमिका व सहयोग पर चर्चा की। बैठक में जैविक कृषि को बढ़ाने पर जोर दिया गया। कृषि मंत्री ने इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों को 100 दिन में अपनी वर्क रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इस मौके पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जैविक कृषि के क्षेत्र में हमने काफी कार्य किया। लेकिन, उत्तराखंड में अभी और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि जैविक प्रमाणीकरण के लिए मान्यता प्राप्त है। पहली ऐसी संस्था है जिसने जैविक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया। आचार्य ने कहा कि ज्यादा उत्पादन के लालच में किसान परंपरागत कृषि को छोड़कर रसायनों की ओर चला गया। कहीं-कहीं इसका लाभ भी हुआ। लेकिन, फसलवार रसायनिक उर्वरक की सही मात्र की जानकारी तथा प्रशिक्षण के अभाव में इसने जहर का रूप ले लिया। आचार्य ने कहा कि किसानों की मानसिकता बन गयी है कि यूरिया डालना छोड़ दिया तो खेती नष्ट हो जाएगी। रसायनों का स्प्रे करना छोड़ दिया तो कीट फसलों को खराब कर देंगे। उन्होंने कृषि मंत्री से आग्रह किया कि प्रदेश में कीटनाशकों को दवा के नाम से संबोधित ना किया जाए। साथ ही उत्तराखंड जैविक कृषि का प्रशिक्षण देने वाला पहला राज्य बने। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि की ओर से डिजिटल कृषि के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं। हमने हरित क्रांति एप के माध्यम से प्रत्येक खेत की जीयो-मैपिग तथा जीयो-टैगिग की। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में यथोचित सुधार के लिए हमें आचार्य के अनुभव तथा पतंजलि के गहन अध्ययन का लाभ लेना चाहिए। हमें पतंजलि के साथ मिलकर उत्तराखंड में कृषि विकास तथा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए कुछ बड़े कार्य करने हैं। उत्पादकता के साथ-साथ हमें किसानों के लिए जैविक उत्पाद का बड़ा बाजार विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि उत्तराखंड कृषि में नंबर वन बने तथा जो लोग रोजगार के लिए बाहर पलायन करते हैं वो कहें कि वह पहाड़ पर जाकर खेती करेंगे।