आज शीतला सप्तमी और कल शीतला अष्टमी व्रत, ऐसे करें पूजा
स्कंद पुराण में शीतला माता का उद्धरण मिलता है। पौराणिक मान्यता है
हल्द्वानी : गुरुवार को शीतला सप्तमी व शुक्रवार को शीतला अष्टमी मनाई जानी है। होली के बाद सातवें व आठवें दिन शीतला माता की पूजा की परंपरा है। स्कंद पुराण में शीतला माता का उद्धरण मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा व व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है।ज्योतिषाचार्य डा नवीन चंद्र जोशी बताते हैं कि देश में कुछ जगह शीतला माता की पूजा चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की सप्तमी व कुछ जगह अष्टमी पर होती है। इस बार ये तिथियां 24 व 25 मार्च को रहेंगी। कुमाऊं में शीतला अष्टमी की मान्यता अधिक है। डा जोशी कहते हैं कि सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य व अष्टमी के देवता शिव होते हैं। दोनों ही उग्र देव होने से इन दोनों तिथियों में शीतला माता की पूजा की जा सकती है। निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है। सप्तमी की पूजा व व्रत गुरुवार को किया जाना चाहिए।शीतला माता के व्रत में शीतल यानी ठंडा भोजन करते हैं। इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है। इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव करना चाहिए। इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है।