होलिका दहन के दिन भूलकर भी न करें ये काम, संतान और परिवार के सुख पड़ सकता है बुरा प्रभाव
छुट्टी से पहले दफ्तरों में अबीर-गुलाल उड़ रहे हैं।
नैनीताल :उत्तराखंड होली के उल्लास में डूबा हुआ है। गली-मोहल्लों में ढोल-मजीरों की धुन पर होली गीतों की धूम है। छुट्टी से पहले दफ्तरों में अबीर-गुलाल उड़ रहे हैं। आज रात होलिका दहन किया जाएगा, लेकिन कुमाऊं में होली 19 मार्च को खेली जाएगी।पर्व निर्णय सभा के अध्यक्ष डा. जगदीश चंद्र भट्ट के अनुसार इस वर्ष 17 मार्च को भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि 12:57 बजे बाद होलिका दहन होगा। वहीं प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12:53 बजे लग रही है, जो 19 मार्च को दोपहर तक है। इसलिए 19 मार्च को सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा होने के कारण होली इसी दिन मनाई जाएगी। हालांकि काशी में रंगोत्सव होली का आयोजन 18 मार्च को हो रहा है। चलिए जानते हैं होलिका दहन के दौरान कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए। होलिका दहन की अग्नि को जलती चिता का प्रतीक माना गया है। इसलिए नए शादीशुदा जोड़ों को होलिका दहन को नहीं देखना चाहिए।
माता-पिता के इकलौते संतान को कभी भी होलिका में आहुति नहीं देनी चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है।
होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए।
सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
इस दिन को भी शुभ या मांगलिक काम नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के दिन किसी भी व्यक्ति को उधार नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है।
होलिका की अग्नि में पीपल, बरगद और आम की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के दिन किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए।
रोगों से मुक्ति और सुख समृद्धि के लिए करें होलिका दहन
होली के पर्व की शुरुआत होलिका दहन से होती है। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि होलिका दहन के दिन होली पूजन करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य दें। शुभ मुहूर्त में होलिका में खुद या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं। आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है।