उत्तराखंड समाचार

श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर स्वयं संस्था ने किया वृक्षारोपण

1930 में 14 वर्ष की किशोरावस्था में उन्होंने 'नमक सत्याग्रह' में भाग लिया। थाने में बेतों से पिटाई कर उन्हें पंद्रह दिन के लिये जेल भेज दिया गया।

देहरादून। आज श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस के अवसर पर स्वयं संस्था के द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. (श्रीमती) कुसुम रानी नैथानी ने श्रीदेव सुमन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बलिदानी श्रीदेव सुमन की जन्मभूमि उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में है। उनका जन्म 25 मई 1916 को बमुण्ड पट्टी के जौल गांव में श्रीमती तारादेवी व श्रीराम बडोनी के घर हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा चम्बा टिहरी से पाई।संवेदनशील हृदय होने के कारण वे ‘सुमन’ उपनाम से कवितायें लिखते थे। उन्होंने राजा के कारिंदों द्वारा जनता पर किये जाने वाले अत्याचारों को बहुत करीब से देखा। 1930 में 14 वर्ष की किशोरावस्था में उन्होंने ‘नमक सत्याग्रह’ में भाग लिया। थाने में बेतों से पिटाई कर उन्हें पंद्रह दिन के लिये जेल भेज दिया गया। इससे भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने साहित्य रत्न, साहित्य भूषण, प्रभाकर, विशारद जैसी परीक्षायें उत्तीर्ण कीं। 1937 में उनका कविता संग्रह ‘सुमन सौरभ’ प्रकाशित  हुआ। वे राज, राष्ट्रमत, कर्मभूमि जैसे हिन्दी व अंग्रेजी पत्रों के सम्पादन से जुड़े रहे। 1939 में सामन्ती अत्याचारों के विरुद्ध ‘टिहरी राज्य प्रजा मंडल’ की स्थापना हुई और सुमन जी इसके मंत्री बनाये गये. इसके लिये वे वर्धा में गांधी जी से भी मिले। 21 जनवरी, 1944 को उन पर राजद्रोह का मुकदमा  कर भारी आर्थिक दंड लगा दिया गया.  उन्होंने अविचलित रहते हुए अपना मुकदमा स्वयं लड़ा और अर्थदंड की बजाय जेल स्वीकार की। शासन ने उन्हें काल कोठरी में ठूंसकर भारी हथकड़ियां पहना दीं। उन पर अमानवीय अत्याचार किए गये। उन्हें जानबूझ कर खराब खाना दिया जाता था। यह  देख कर उन्होंने तीन मई, 1944 से आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया। शासन ने उनका अनशन तुड़वाने का बहुत प्रयास किया पर वे अडिग रहे और 84 दिन बाद 25 जुलाई, 1944 को जेल में ही उन्होंने शरीर त्याग दिया। सुमन जी के बलिदान के पश्चात् टिहरी राज्य में आंदोलन और तेज हो गया। एक अगस्त, 1949 को टिहरी राज्य का भारतीय गणराज्य में विलय हुआ। तब से प्रतिवर्ष 25 जुलाई को उनकी स्मृति में ‘सुमन दिवस’ मनाया जाता है। उनके बलिदान दिवस पर हर साल विभिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण किया जाता है। स्वयं संस्था ने  अपने ओंकार रोड स्थित कार्यालय में आम,आड़ू एवं नींबू प्रजाति के फलदार पेड़ लगाए। इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती सोनाली चौधरी ने कहा कि हम सबको अपने घरों तथा आसपास सी खाली जमीन पर बरसात की मौसम में वृक्ष अवश्य लगाने  जाने चाहिए। वृक्ष हमें फल, फूल, चारा और छाया देने के अलावा पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अवसर पर डॉ. उमेश नैथानी, श्रीमती मंजु सक्सेना, अभिषेक चौहान, रोहित शर्मा, श्रीमती कौशल्या देवी, श्रीमती शांति, दिनेश जोशी, श्रीमती स्नेह, सुश्री भावना, कु. सरिता श्रीमती संध्या, स्कूली छात्र छात्राएं एवं अन्य आमंत्रित अतिथि उपस्थित थे।

 

 

 

 

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