कांग्रेस विधायक नहीं बचा पाए अपनी सीट
केदारनाथ विधानसभा सीट से मनोज रावत भाजपा को हराने में सफल रहे थे।
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ विधानसभा सीट पर निर्वतमान कांग्रेस विधायक अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हो पाए। जनता का समर्थन उन्हें नहीं मिल पाया। स्थिति यह रही कि कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत इस बार भी दूसरे नंबर पर रहकर अपना दम दिखाया, लेकिन जीत का स्वाद वह भी नहीं ले सके। केदारनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक मनोज रावत दूसरी बार जीत दर्ज नहीं कर सके। वर्ष 2017 में जहां पूरे प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था, वहीं केदारनाथ विधानसभा सीट से मनोज रावत भाजपा को हराने में सफल रहे थे। लेकिन इस बार वह पुराना करिश्मा दोहराने में वह विफल साबित रहे। भाजपा प्रत्याशी शैला रानी रावत से बड़े अंतर से हरा गए। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई। वर्ष 2017 के चुनाव में मनोज रावत पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े थे। जनता के बीच उनकी एक अच्छे युवा नेता के रूप में पहचान बनी और जनता का समर्थन हासिल करने में सफल रहे। कड़े मुकाबल में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत को आठ सौ से अधिक मतों से हराया। निर्वतमान विधायक मनोज रावत ने स्थानीय मुद्दों को सड़क से विधानसभा तक उठाया। हालांकि जनता ने उनकी सक्रियता पर सवाल उठाया। चुनाव से पूर्व भी नाराजगी जताते रहे। आम जनता की शिकायतों को भी वह गंभीरता से न लेने का आरोप जनता लगाती रही। जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भगतना पड़ा।निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप सिंह रावत वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मात्र आठ सौ मतों से कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए थे। इस बार भी वह दूसरे नंबर पर जरूर रहे, लेकिन हार का अंतर साढ़े सात हजार तक पहुंच गया। वहीं केदारनाथ विधानसभा को लेकर भाजपा हाइकमान ने टिकट आवंटन के बाद से पूरी किलाबंदी की थी, हाईकमान चुनाव पर पूरी नजर बनाए हुए था। यहां तक की टिकट वितरण में भी काफी विचार विमर्श किया गया। जिस चरणबद्ध तरीके से भाजपा ने चुनाव लड़ा उसमें विरोधी मात खा गए।