उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड राज्य के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी का निधन

अज़ीज़ कुरैशी 15 मई 2012 से 7 जनवरी 2015 तक रहे उत्तराखंड राज्य के राज्यपाल

देहरादून। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. अजीज कुरैशी नहीं रहे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मिजोरम के राज्यपाल डॉ. कुरैशी 83 साल के थे। वे लंबे समय से बीमार थे। स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उन्हें पिछले दिनों भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में ही उन्होंने शुक्रवार को अंतिम सांस ली। डॉ. अजीज  अजीज कुरैशी का जन्म 24 अप्रैल 1940 को भोपाल में हुआ था। वह 1984 में मध्यप्रदेश के सतना से लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए थे। कुरैशी मध्यप्रदेश कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के सचिव, भारतीय युवा कांग्रेस के संस्थापक सदस्य होने के साथ ही 1973 में मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में मंत्री भी रहे। कुरैशी को 24 जनवरी 2020 को मध्यप्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. अजीज कुरैशी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ है। मैं उनके निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें। 24 अप्रैल 1940 को जन्मे डॉ. अजीज कुरैशी की शिक्षा उत्तर आगरा और भोपाल में हुई। अपनी सियासी पारी में उन्होंने मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी तीखे तेवरों के साथ मौजूदगी दिखाई। कांग्रेस के खाते से उत्तराखंड के राज्यपाल बनाए गए। उन्होंने उत्तर प्रदेश और मिजोरम में भी अतिरिक्त जिम्मेदारी के साथ इस पद पर सेवाएं दीं। वे सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भी वे जुड़े रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जमाने में कांग्रेस से जुड़े और उनके करीबी रहे डॉ. कुरैशी पार्टी के विभिन्न पदों पर भी रहे। मुखर वाणी और अधिकारों के लिए अड़ जाने वाले कुरैशी अपने अंतिम दिनों तक भी आवाज उठाते रहे हैं।  डॉ. अजीज कुरैशी अपनी बेबाकी और मुखरता के चलते सियासत में खास पहचान रखते थे। कई मुद्दों पर वे अक्सर अपनी पार्टी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व से भी भिड़ जाया करते थे। राज्यपाल पद से निवृत्त होने के बाद डॉ अजीज कुरैशी ने कई बार पार्टी की उन व्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की, जिसमें मुस्लिम सियासत को दरकिनार किया जाता दिखाई दे रहा था। संगठन में मुस्लिम नेतृत्व से लेकर पार्टी के पोस्टर बैनरों से मुस्लिम नेताओं के फोटो हटाए जाने पर भी उन्होंने विरोध के स्वर उठाए थे। 3 साल की उम्र पर पहुंच चुके डॉ अजीज कुरैशी लंबे समय से बीमार थे। मोटापे और कई बीमारियों के चलते उन्हें चलने फिरने में दिक्कतें आती थीं। बावजूद इसके वे सियासत और सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता बनाए रखते थे। राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में उनके समर्थकों द्वारा किया जाने वाला सालाना मुशायरा भी एक खास पहचान रखता है। डॉ. अजीज कुरैशी ने अपने जीवनकाल में शादी नहीं की थी। इस वजह से उनकी सियासी विरासत संभालने वाला कोई नहीं है। उनके इंतकाल के बाद प्रदेश की मुस्लिम सियासत में एक बड़ी रिक्तता महसूस की जा रही है।

 

 

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