साइबर क्राइम के मामले सुलझाने में फिसड्डी साबित हो रही अल्मोड़ा पुलिस
पिछले तीन वर्षों में जिले में साइबर अपराध के कुल 50 प्रतिशत मामले भी निस्तारित नहीं हो पाए है।
अल्मोड़ा: जिले में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं पुलिस के पास अधिकतर मामले लंबित चल रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में जिले में साइबर अपराध के कुल 50 प्रतिशत मामले भी निस्तारित नहीं हो पाए है।पुलिस पूरी तरह से साइबर क्राइम के मामले निस्तारित करने में असफल ही साबित हो रही है। डीआइजी पूरे मामले पर अल्मोड़ा पुलिस को फटकार भी चुके हैं।शांत पहाड़ों पर भी अब साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फेसबुक, व्हट्सएप, इंस्टाग्राम आदि इंटरनेट मीडिया से लेकर अन्य माध्यमों से आए दिन कोई न कोई साइबर ठगी का शिकार हो रहा है। कई मामलों में पीड़ित पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं, तो कई मामले निस्तारण होने में वर्षों लग जाते हैंअल्मोड़ा जिले में 2020, 21 और 22 तीन वर्षों में अब तक साइबर ठगी के कुल 29 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसमें से मात्र 14 मामलों का निस्तारण हुआ है, जबकि 15 मामले लंबित चल रहे हैं।पुलिस का दावा है कि इन मामलों में भी लगातार कार्रवाई चल रही है। उधर डीआइजी नीलेश आनंद भरणे ने साइबर सीओ व साइबर सेल प्रभारियों को थानों से जीरो एफआइआर पर मिलने वाले अभियोग दर्ज करने में देरी न की जाने के निर्देश दिए थे। अल्मोड़ा में 2018, 19 और 20 में अल्मोड़ा जिले में दर्ज साइबर के लंबित मुकदमों के निस्तारण नहीं होने पर डीआइजी ने नाराजगी भी जताई थी।हर वर्ष साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन इनके निस्तारण धीमी गति से हो रहे हैं। 2022 में अब तक साइबर क्राइम के निस्तारण का खाता तक नहीं खुल सका है। इस वर्ष अब तक आए पांच मामलों में एक भी निस्तारित नहीं हो सका है। सभी पांचों मामले लंबित चल रहे हैं।