उत्तराखंड समाचार

पुलिस का यह कैसा सत्यापन, अभियान के बाद भी खटीमा में मिले पंजाब के कुख्यात बदमाश

मगर खटीमा में शरण लिए जानलेवा हमले में फरार पंजाब के दो बदमाशों की भनक पुलिस को नहीं लग सकी।

रुद्रपुर: यूएस नगर पुलिस बाहरी राज्यों से आए लोगों के विरुद्ध सत्यापन अभियान एक मई तक चलाया था। मगर खटीमा में शरण लिए जानलेवा हमले में फरार पंजाब के दो बदमाशों की भनक पुलिस को नहीं लग सकी। ये दोनों आरोपित खटीमा में साथियों के साथ मिलकर आरिफ की रविवार को हत्या कर दी थी। ऐसे में पुलिस के सत्यापन अभियान पर सवाल उठाए जा रहे हैं।कानून और आपराधिक वारदात पर रोक लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद राज्य भर में पुलिस ने सत्यापन अभियान चलाया था। 10 दिन तक सत्यापन अभियान चलाया गया था और एक मई को अभियान का समापन हो गया था। पुलिस ने जिले में फड़, ठेली वालों के साथ ही संदिग्ध और किराएदारों का सत्यापन किया।पुलिस विभाग कार्यालय के मुताबिक जिले में इस बीच 5168 लोगों का पुलिस ने सत्यापन किया। जिसमें 1857 मजदूर, 1390 रेडी और ठेली वाले तथा 1367 किराएदार के साथ ही 554 अन्य लोग शामिल हैं। इसके अलावा 439 का पुलिस एक्ट में चालान किया गया था। जब खटीमा में आरिफ की हत्या में स्थानीय दो युवकों के साथ ही पंजाब के पटियाला से जानलेवा हमले में फरार कुख्यात अपराधी आशीष सिंह और विजय सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो पुलिस के होश उड़ गए।ऐसे में पुलिस के सत्यापन अभियान पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि पुलिस वास्तव में घर-घर जाकर सत्यापन किया था या लोगों को कोतवाली, थाने या पुलिस चौकियों में बुलाकर सत्यापन किया था। लोगों का कहना है कि पुलिस सही तरीके से सत्यापन करे तो काफी हद तक अपराध पर अंकुश लग सकता है।हालांकि एसएसपी ने बताया कि खटीमा में आरिफ की हत्या के बाद पुलिस की एक टीम संदिग्धों के सत्यापन में तो दूसरी टीम आरोपित से पूछताछ में जुटी थी। पूछताछ में आजाद ने आशीष और विजय सिंह का नाम लिया। जिसका पता चलते ही पुलिस ने आशीष और विजय को पकड़ लिया। बताया कि पुलिस समय पर संदिग्ध समझते हुए उन्हें न पकड़ती तो वह फरार हो सकते थे।

 

 

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