आयुर्वेद को विज्ञान के साथ जोड़ रहा पतंजलि: पीयूष गोयल
जब विश्व में भारत की पहचान वैज्ञानिक मापदंड पर होगी।
हरिद्वार। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पतंजलि योगपीठ में आयुर्वेद को विज्ञान के साथ जोड़ा जा रहा है। वह दिन दूर नहीं जब विश्व में भारत की पहचान वैज्ञानिक मापदंड पर होगी। दो दिवसीय दौरे के पहले दिन मंगलवार को पतंजलि योगपीठ पहुंचे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने यह बात कही।
उन्होंने सीसीआर लैब, पतंजलि रिसर्च लैब, जड़ी बूटी पर आधारित हर्बेरियम कलेक्शन, कैनवास पेटिंग का भी अवलोकन किया। पतंजलि हर्बल गार्डन में पौधरोपण भी किया। सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपियों के संरक्षण एवं पुनर्प्रकाशन के कार्य को देखकर वह हैरत में पड़ गए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यहां आने से पहले उन्होंने यह कल्पना तक नहीं की थी कि पतंजलि इस स्तर पर शोध और अनुसंधानात्मक कार्यों में संलग्न है। यहां आयुर्वेद को विज्ञान के साथ जोड़ा जा रहा है।हमारी पारंपरिक मेडिसिन, हमारे भारत के इतिहास और परंपराओं को पुनर्जीवित करने का अहम कार्य योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने किया है। यहां कार्यरत चिकित्सक, वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्त्ताओं की पूरी टीम के साथ मिलने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि पतंजलि के टेक्नोलाजी साल्यूशन्स को भी देखने का अवसर मिला कि कैसे छोटे दुकानदार से लेकर सूक्ष्म और लघु उद्योग को टेक्नोलाजी के साथ जोड़कर उनको आत्मनिर्भर बनाना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पतंजलि के माध्यम से पूरे विश्व में एक संदेश जाता है कि कैसे आधुनिक तकनीक से व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पीयूष गोयल राष्ट्रनिर्माण के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। कहा कि पतंजलि देश का सबसे बड़ा संस्थान है जो वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद पर शोध में संलग्न है। बताया कि पतंजलि ने 65 हजार औषधीय पौधों की डाक्यूमेंटेशन के साथ-साथ करीब साढ़े चार लाख रेफरेंस, दो हजार से ज्यादा ट्राइब्स पर कार्य किया है। पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों के संदर्भ में ऐसी कोई चीज नहीं छोड़ी, जो उपलब्ध न हो। जड़ी-बूटी आधारित करीब 35 हजार कैनवास पेंटिंग और 30 हजार लाइन ड्राइंग्स का कलेक्शन पतंजलि के पास है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने आचार्य की दो शोधपरक पुस्तकों का विमोचन भी किया।इस मौके पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डा. वेदप्रिया आर्य, आइटी प्रमुख कविंदर, भाजपा जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान, जिला महामंत्री विकास तिवारी, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय आदि मौजूद रहे।केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार शाम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की ओर से संचालित नमामि गंगे योजना अंतर्गत जगजीतपुर में स्थापित 68 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कार्यप्रणाली देखी।परियोजना प्रबंधक आरके जैन ने बताया कि 99 करोड़ लागत की यह परियोजना भारत की ऐसी पहली सीवरेज परियोजना है, जो हाइब्रिड एन्यूइटी माडल (एचएएम) पर आधारित सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल है। इसके अंतर्गत निर्माण लागत का 40 प्रतिशत केंद्र जबकि 60 प्रतिशत धनराशि कांट्रेक्टर की होती है। बताया कि परियोजना पर फरवरी 2018 में काम शुरू हुआ। जनवरी 2020 से सीवरेज जल के शोधन का कार्य शुरू हो गया। जून 2020 में कार्य पूरा होने के बाद सितंबर 2020 में पीएम मोदी ने इसका वर्चुअली लोकार्पण किया था।
परियोजना प्रबंधक ने बताया कि यहां ज्वालापुर को छोड़ पूरे हरिद्वार का सीवरेज शोधन के लिए पहुंचता है। वर्तमान में 60 से 61 एमएलडी सीवरेज जल का शोधन हो रहा है। शोधन तीन चरणों में होता है। पहले प्राइमरी चरण में सीवरेज जल से पालीथिन समेत फ्लोटिंग मैटेरियल की सफाई होती है। दूसरे चरण में बायोलाजिकल ट्रीटमेंट और तीसरे चरण में क्लोरीनेशन के बाद शोधित जल को गंगा में छोड़ा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री प्लांट की व्यवस्थाओं से संतुष्ट दिखे।