पीड़ितों के चेहरों पर मुस्कान ला रहा साइबर सेल
आनलाइन बैंकिग या शापिग करने वालों को खुद भी जागरुक रहना चाहिए।
हरिद्वार : कोई आपको धोखे से बातों में उलझाकर बैंक खाते से रकम निकाल ले या आपको अचानक पता चले कि खाते से पैसे गायब हो गए हैं, तो घबराएं नहीं। बैंक स्टेटमेंट निकलवाकर फौरन सीसीआर स्थित साइबर सेल या फिर नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं। पूरी संभावना है कि आपकी 90 फीसद तक रकम वापस मिल जाएगी।
हरिद्वार साइबर सेल के आंकड़े बता रहे हैं कि साइबर ठगी के जिन मामलों में उसी दिन या अगले दिन तक शिकायत हुई है, उनमें रकम को ठगों के खातों में जाने से पहले ही रोक दिया गया है। जिन मामलों में पैसे निकलने का पता देर से चला या फिर शिकायत देर से हुई है, उनमें न तो रकम वापस मिल पाती है और न अपराधी पुलिस की गिरफ्त में आ पाते हैं। दरसअल, साइबर ठगी करने वाले सैकड़ों मील दूर बैठकर दूसरे राज्यों से लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई उड़ाते हैं। कभी एटीएम सत्यापन के नाम पर, कभी ओएलएक्स पर पुराने वाहन खरीदने तो कभी लकी ड्रा का झांसा दिया जाता है। पिछले कुछ मामलों में देखा गया है कि नामी कंपनी की कस्टमर हेल्पलाइन पर भी साइबर ठगों ने डेरा जमाया हुआ है। चूंकि ठग एक राज्य में बैठकर दूसरे राज्य के व्यक्ति को जाल में फंसाकर तीसरे राज्य में रकम निकालते हैं, इसलिए उनके गिरेबान तक हाथ पहुंचाना पुलिस के लिए आसान नहीं होता है। अलबत्ता, जागरुकता व सतर्कता बरतकर न सिर्फ ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है, बल्कि हाथ से निकली रकम भी वापस मंगाई जा सकती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार डा. योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि आनलाइन बैंकिग या शापिग करने वालों को खुद भी जागरुक रहना चाहिए। इसके बावजूद यदि ठगी का शिकार हो जाते हैं तो पुलिस से शिकायत करने में देर न लगाएं। जल्द शिकायत करने पर रकम वापस मिलने की काफी हद तक संभावना रहती है।
साइबर ठग रकम ठगने के लिए अमूमन आनलाइन खरीदारी करते हैं। ठगी की शिकायत मिलते ही साइबर सेल संबंधित प्लेटफार्म जैसे अमेजान, फ्लिपकार्ट, पेटीएम आदि से संपर्क करती है। यदि किसी खाते में रकम ट्रांसफर की जाती है तो संबंधित बैंक से पत्राचार किया जाता है। साइबर सेल उन्हें यह बताती है कि यह पेमेंट धोखाधड़ी से ट्रांसफर या भुगतान किया गया है, इसलिए इसे रोक दिया जाए। पुलिस का ई-मेल प्राप्त होने पर आनलाइन शापिग कंपनी तुरंत साइबर ठगों का आर्डर रद कर रकम वापस कर देती है। इसी तरह बैंक भी रकम उसी खाते में ट्रांसफर कर देते हैं। साइबर सेल के प्रभारी चंद्र चंद्राकर नैथानी व उनकी टीम में शामिल कांस्टेबल अरुण कुमार, शक्ति सिंह और योगेश कैंथोला इस काम में दक्ष हैं और मिनटों में पत्राचार कर रकम होल्ड करा देते हैं। यह टीम अभी तक लोगों की गाढ़ी कमाई के रूप में सैकड़ों चेहरों पर मुस्कान लौटा चुकी है।