फरवरी माह से अपने वेतन का इंतजार कर रहे शिक्षक
अशासकीय विघालयो मे वेतन का संकट स्थायी समस्या बन गया है।
देहरादून। अशासकीय विघालयो मे वेतन का संकट स्थायी समस्या बन गया है। शायद ही कभी इनके शिक्षकों एवं कर्मचारियों को समयबद्ध वेतन मिला है।फरवरी से अपने वेतन की बाट जोह रहे शिक्षकों ,कर्मचारियों को अपना आयकर भी अपनी बचत मे से जमा करना पडा है। गौरतलब है कि राज्य के अशासकीय विघालयो में शिक्षकों का वेतन अनुदान के रूप में प्राप्त होता है,ऐसे में इनका वेतन बजट पूरे वर्ष का एक साथ जारी न होकर कुछ माह का किया जाता है,जिससे यहाँ पर वेतन का पूरा दारोमदार बजट की उपलब्धता पर टिका रहता है।बजट समाप्त होते ही वेतन के लाले पडने लगते है।इस वर्ष भी इन विघालयो के शिक्षको एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों को फरवरी से वेतन नही मिला है।स्थिति यह हो गई है कि जहां वितीय वर्ष समाप्त होने पर कर्मचारियों के सारे देयो का भुगतान फरवरी मे हो जाता था, तथा वर्षभर का आयकर फरवरी माह के वेतन से लिया जाता था इस बार फरवरी का वेतन न आने से शिक्षकों एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों को अपना आयकर स्वयं नगद जमा कराना पड़ा है।दो माह बित चुके है परन्तु वेतन का बजट अभी तक शासन प्रशासन की फाईलो मे उलझा पडा है। उतराखण्ड माध्यमिक शिक्षक संघ की पब्लिक इंटर कालेज डोईवाला इकाई के महामंत्री अश्विनी गुप्ता का कहना है कि अशासकीय विघालयो में पहले से ही सुविधाओं का हाल बुरा है ऊपर से समय पर वेतन भी नही मिलता है।अप्रैल मे जहाँ बच्चो की पढ़ाई का खर्चा होता है वहां पर वेतन न मिलने से एक शिक्षक के सामने तमाम दिककते आती है।उन्होंने सरकार से अशासकीय विघालयो की वेतन व्यवस्था को राजकीय विद्यालयों की तरह करने की मांग की है। राज्य भर के लगभग चार से पाँच हजार शिक्षकों एव कर्मचारियों को फरवरी माह से अपने वेतन का इंतजार है।