मानव और राष्ट्र कल्याण हो शोध का उद्देश्य : चौहान
शोध को कभी भी आधा नहीं बल्कि संपूर्ण समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।
हरिद्वार : गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग की ओर से शोध प्रविधि एवं प्रकाशन नैतिकता पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि शोध का उद्देश्य मानव और राष्ट्र कल्याण होना चाहिए। शोध को कभी भी आधा नहीं बल्कि संपूर्ण समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।
चौहान ने आह्वान करते कहा कि शोध को शोध ग्रंथों और प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि आम जनमानस तक ले जाना होगा। कार्यशाला में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. डीपी त्रिपाठी ने कहा कि अतीत में भारत ने शोध के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व किया है। वर्तमान में भारतीय अनुसंधान को विश्वपटल पर लाना होगा। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि हमें शोध को वैश्विक मानकों के अनुरूप करना होगा। अनुसंधान के लिए स्वतंत्र चिंतन आवश्यक होता है। क्वांटम यूनिवर्सिटी, रुड़की के कुलपति प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि अतीत में हुए आक्रमणों के कारण हमारे मूल्यवान मूल शोध ग्रंथ नष्ट हो गए थे। शोध के माध्यम से हम भारत की गौरवशाली शोध परंपरा की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि शोध का उद्देश्य लोक कल्याण का होना चाहिए। जो शोध विनाश को बढ़ावा दे उसको निरुत्साहित किया जाना चाहिए। प्रो. शास्त्री ने कहा कि उत्कृष्ट शोध के लिए मौलिक चिंतन का होना अनिवार्य है। किसी भी शोधकत्र्ता को लेखन से अधिक मौलिक चितन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आइक्यूएसी के निदेशक प्रो. आरसी दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर शोध और प्रकाशन किसी भी विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बिदु हैं। प्रो. दुबे ने शोध अध्येताओं से आह्वान किया कि वह मौलिक और स्थानीय समस्याओं पर केंद्रित विषयों पर शोध कार्य को आगे बढ़ाएं। समन्यवक डा. हेमवती नंदन ने कार्यशाला की रूपरेखा पर चर्चा करते कहा कि शोध सत्य का प्रकटीकरण का साधन है। शोध के माध्यम से सत्य उद्घाटित किया जा सकता है तथा इस कार्यशाला के माध्यम से शोध अध्येताओं को शोध प्रविधि और प्रकाशन नैतिकता के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यशाला में प्रो. एलपी पुरोहित, कुलसचिव डा. सुनील कुमार, डा. हिमांशु पंडित ने किया। कार्यशाला में प्रो. सोमदेव शतांशु, प्रो. विनय विद्यालंकार, डा. श्वेतांक आर्य, डा. सुयश भारद्वाज, डा. प्रिस, डा. मनीला, डा. ऋतु अरोड़ा, पार्षद नागेंद्र राणा आदि शिक्षक और शोध छात्र उपस्थित रहे।