क्षय रोग दिवस : उचित उपचार के अभाव में क्षय रोग अत्याधिक घातक।
ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं।
फरीदाबाद। एनआईटी तीन फरीदाबाद स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विश्व क्षय रोग दिवस पर बालिकाओं को जागरूक किया। विद्यालय की एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर डॉक्टर जसनीत कौर और जूनियर रेडक्रॉस व सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि क्षय रोग अर्थात टीबी विश्व की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू एचओ के अनुसार प्रतिदिन 4100 से भी अधिक जन टीबी से अपनी जान गंवाते हैं और लगभग 28,000 से भी अधिक व्यक्ति इस घातक बीमारी और उपचार योग्य बीमारी से बीमार होते हैं जब क्षयरोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ये ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं। जब एक स्वस्थ व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है। टीबी (क्षयरोग) एक घातक संक्रामक रोग है, जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। क्षय रोग सामान्यतः फेफड़ों पर अधिक कुप्रभाव करता है परंतु यह फेफड़ों के अतिरिक्त शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। प्राचार्य ने छात्राओं को कहा कि क्षयरोग सुप्त और सक्रिय दोनों अवस्था में हो सकता है। सुप्त अवस्था में संक्रमण तो होता है परंतु टीबी का जीवाणु निष्क्रिय अवस्था में रहता है और कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यदि सुप्त टीबी का रोगी अपना उपचार नहीं कराता है तो सुप्त टीबी सक्रिय टीबी में भी बदल सकती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आप सभी अपने भाई, पिता, चाचा, अंकल एवम सभी पारिवारिक जनों और मित्रों से यह निवेदन करें कि वे धूम्रपान, गुटका, पीने वाला नशा आदि का सेवन करते हैं तो इन्हें शीघ्र अति शीघ्र बंद कर दें और किसी भी प्रकार से क्षय रोग जैसी भयंकर बीमारी से स्वयं को बचाएं तथा दूसरों को भी जागरूक करें तभी हम सब स्वस्थ रह पाएंगे।