जल से जुड़ी समस्याओं का मिलकर हल निकालने पर दिया जोर
वर्ष 2030 तक जल एवं स्वच्छता सबके लिए उपलब्ध हो।
रुड़की : विश्व जल दिवस पर विज्ञानियों ने भूजल के स्तर में लगातार आ रही कमी पर चिता व्यक्त की। साथ ही जल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का मिलकर हल निकालने पर जोर दिया।
विश्व जल दिवस के मौके पर राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने संयुक्त रूप से एनआइएच सभागार में समारोह का आयोजन किया। इसका विषय भूजल अदृश्य को दृश्यमान बनाना रहा। समारोह में मुख्य अतिथि आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित के चतुर्वेदी ने कहा कि जल की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए एनआइएच और आइआइटी रुड़की के विज्ञानियों और प्रोफेसरों को एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने समस्याओं के हल के लिए विज्ञान की श्रेष्ठ पद्धतियों को अपनाए जाने पर बल दिया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए एनआइएच के निदेशक डा. जयवीर त्यागी ने कहा कि जल में हो रही निरंतर कमी के कारण नदियां सूख रही हैं। हमें ये सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2030 तक जल एवं स्वच्छता सबके लिए उपलब्ध हो। इसके लिए हमें भूजल से हो रही अत्यधिक निकासी में कमी और भूजल पुन:पूरण में वृद्धि करनी होगी। जिससे कि भूजल को अदृश्य से दृश्यमान बनाया जा सके। आइआइटी रुड़की के जलविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बृजेश यादव, जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.आशीष पांडेय, प्रो.एमके सिघल, प्रो. एएस मौर्या और प्रो. जेड अहमद ने अपने-अपने विभागों के शोध कार्याें और परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी। वहीं एनआइएच के सतही जल जलविज्ञान प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डा. अनिल कुमार लोहानी ने संस्थान की ओर से किए जा रहे शोध और अनुसंधान की गतिविधियों की जानकारी दी। समारोह का संचालन विज्ञानी डा. पीके सिंह ने किया। इस मौके पर एनआइएच के पूर्व निदेशक डा. एसके जैन, डा. मनोहर अरोड़ा, डा. सुधीर कुमार, डा. आरपी पांडेय, प्रो. बसंत यादव, डा. एमके गोयल, पीके अग्रवाल, पीके मिश्रा, राजेश कुमार सिंह, रजनीश कुमार गोयल, राम कुमार, पवन कुमार, सूर्यकांत आदि उपस्थित रहे।