उत्तराखंड समाचारधर्म

7 जुलाई को होगा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

रथ यात्रा का साक्षात दर्शन करने भर से ही मिल जाता है 1000 यज्ञों का पुण्य फल

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की 7 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने जा रही है, हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से इस रथ यात्रा का आयोजन होता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजते हैं। ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा का साक्षात दर्शन करने भर से ही 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है। भगवान जगन्नाथ की मुख्य लीला भूमि उड़ीसा की पुरी है, जिसे पुरुषोत्तम पुरी भी कहते हैं। श्रीकृष्ण भी उनके अंश हैं। उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं। इन मूर्तियों का निर्माण राजा इंद्रद्युम्न ने कराया था। जगन्नाथ जी की रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ पुरी में आरंभ होती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जन सामान्य के बीच जाते हैं। रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी चलते हैं। बलराम जी के पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं। अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं। स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ जाता है, वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति भगवान के नाम का कीर्तन करता हुआ रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रथ यात्रा में भाग लेने मात्र से संतान संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। वो लोग तो परम सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें भगवान जगन्नाथ की सेवा का पुण्य प्राप्त होता हैं।

 

 

 

 

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