उत्तराखंड समाचार

मन का संताप हरती हैं माता गायत्री : डॉ प्रणव

माँ गायत्री की साधना से भटके हुए राही को मिलती है सही राह

हरिद्वार 16 जून। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि माँ गायत्री की साधना से भटके हुए राही को सही राह मिलती है। गायत्री की उपासना से साधक का आचरण पवित्र होता है। गायत्री और गंगा भारत का जीवन दर्शन है। हमारे लिए आदर्श है। गायत्री व गंगा के आशीष से मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण संभव है। डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित दो दिवसीय गंगा दशहरा-गायत्री जयंती महापर्व के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर महापर्व मनाने आये देश-विदेश के हजारों गायत्री परिवार के साधकों को जीवन सुधारने के लिए संजीवनी विद्या मिली। वहीं माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी वर्ष 2026 के लिए कार्य योजना को मूर्त रूप प्रदान करने हेतु दिशा निर्देश दिये गये। वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के मर्मज्ञ डॉ.पण्ड्या ने कहा कि माता गायत्री मन का संताप हरती हैं, तो वहीं पतित पावनी माँ गंगा तन को शुद्ध करने वाली है। उनके अवतरण दिवस पर हमें ऐसा संकल्प लेना चाहिए कि हम श्रेष्ठ बनें, हमारा समाज ऊँचा उठे और देश की उत्तरोत्तर प्रगति में सहायक बनें। श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि गंगा की धारा को अविरल व शुद्ध बनाने की दिशा में अखिल विश्व गायत्री परिवार ने निर्मल गंगा जन अभियान चलाया है।

संस्था की अधिष्ठात्री स्नेहसलिला श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि गायत्री आत्मा की और गंगा काया की देवी हैं। इनकी प्रेरणाओं को जीवन में उतारने से जीवन महान बनता है। स्नेह सलिला ने कहा कि किसी भी मंत्र को जाग्रत करने के लिए मन का भाव को निर्मल व अंतःकरण को शुद्ध होना चाहिए। गायत्री महामंत्र साधक के मन व अंतःकरण को पवित्र करता है। शांतिकुंज अधिष्ठात्री ने कहा कि गायत्री महामंत्र की साधना जन्म जन्मांतरों के पापों कर्म को नष्ट करती है और भविष्य की राह को सुधारती है। इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने स्मृति समुच्चय एक दृष्टि, श्रीमद् भगवत गीता (भाषानुवाद), मनुस्मृति, रुद्राभिषेक (नये कलेवर) सहित अखिल विश्व गायत्री परिवार में सुने जाने वाले प्रज्ञागीत को गाना डॉट कॉम, जिओ सावन, अमेजन म्यूजिक सहित 45 डिटिजल प्लेटफार्म के लिए विमोचन किया। इससे पूर्व पर्व पूजन का वैदिक कर्मकाण्ड संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों ने सम्पन्न कराया, तो वहीं ब्राह्ममुहूर्त में गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने पूज्य आचार्यश्री के प्रतिनिधि के रूप में सैकड़ों श्रद्धालुओं, नये साधकों को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। महापर्व के दौरान नामकरण, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, विवाह सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। सायंकालीन ब्रह्मवादिनी बहिनों ने विराट दीप महायज्ञ का संचालन किया। शांतिकुंज परिवार ने अपने आराध्यदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्यजी की ३४वीं पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाया और उनके दिखाये राहों में चलने तथा भारतीय संस्कृति को विश्व भर में फैलाने की शपथ ली। महापर्व के दिन प्रातः से लेकर सायं तक गायत्री विद्यापीठ बच्चों ने अतिथियों का जलसेवा की।

 

 

 

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