उत्तराखंड समाचार

24 घंटे में 31 स्थानों पर वनाग्नि

जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद

देहरादून। प्रदेश में बीते 24 घंटे में 31 स्थानों पर वनाग्नि के नए मामले सामने आए हैं। वन विभाग के मुताबिक वनाग्नि की घटनाओं में ज्यादा संख्या आरक्षित वनों की सामने आई है। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में आरक्षित वनों में 29 और सिविल या वन पंचायतों में दो वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें कुल 33.34 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं। हालांकि, कहीं भी कोई मानव हानि सामने नहीं आई। गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के जंगल लगातार धधक रहे हैं। ज्यादातर चीड़ के जंगलहोने के कारण आग तेजी से फैल रही है। वनकर्मी आग बुझाने में जुटे हैं। एक स्थान पर आग बुझती है तो दूसीर जगह भड़क उठती है। आग से बड़ी  मात्रा में वनसंपदा को नुकसान पहुंचा है। वहीं पशुओं के लिए चारे की समस्या भी खड़ी हो गई है। चमोली जिले के जंगलों में फिर आग धधक गई है। जिले के अलग-अलग पांच जगह पर वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं। जिससे बड़ी मात्रा में वन संपदा नष्ट हो गई है। गोपेश्वर के पास कोठियालसैंण और ग्वीलों के जंगल में आग भड़क गई। चीड़ के जंगल में आग ने तेजी से विकराल रूप ले लिया। वहीं सुबह इंजीनियरिंग कॉलेज के नीचे के जंगल में भी आग लग गई। आग आईटीबीपी कैंपस में घोड़े के अस्तबल के पास तक पहुंच गई। सूचना पर फायर सर्विस गोपेश्वर की टीम ने मौके पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद आग को बुझा दिया। वहीं दोपहर को देवखाल के जंगल में भी आग भड़क गई। देखते ही देखते आग जंगल के बड़े क्षेत्र में फैल गई है।

कुमाऊं के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने शनिवार से भीमताल झील से पानी भरकर जंगलों में पानी डालने का काम करना शुरू कर दिया है। शनिवार की सुबह वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने भीमताल झील से टैं पानी भरकर नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर डाला। वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई है। मेलाकनी ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने अभी तक तीन बार झील से पानी भरकर जंगलों में लगी आग पर डालना शुरू कर दिया है। मेलकानी ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी भी आग बुझाने में लगे हुए हैं। आग से भीमताल, पाइंस, रानीबाग, सातताल, बेतालघाट और रामगढ़ के जंगलों की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है।

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