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नवरात्रि पूजा में प्रतिदिन मां के सभी स्वरूपों को प्रिय अलग अलग भोग अर्पित करना चाहिए

माता दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की विधि और भोग भी भिन्न-भिन्न

देहरादून, 4 अप्रैल। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो रहा है। नौ दिवसीय इस पर्व में मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं इस मौके पर भक्त उपवास करते हैं और सात्विक जीवन जीते हैं। नवरात्रि के हर दिन मां के नौ रूप, मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, माता सिद्धिदात्री की उपासना होती है। माता दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की विधि और भोग भी भिन्न-भिन्न ही होते हैं। नवरात्रि पूजा में प्रतिदिन मां के सभी स्वरूपों को प्रिय अलग अलग भोग अर्पित करना चाहिए। इसमें नारियल, गाय का घी, गुड, मालपुए, खीर, हलवा चना और पूड़ी का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है, साथ ही प्रसाद स्वरूप सभी को वितरित करना चाहिए।

नवरात्रि पहला दिन :- इस दिन घटस्थापना होती है और मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है, इसलिए उन्हें सफेद रंग प्रिय है। साथ ही उन्हें गाय के घी से तैयार भोग लगाना शुभ माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के बाद भोग में गाय के घी से बना हलवा, रबड़ी या मावा के लड्डू का भोग लगा सकते हैं।

नवरात्रि दूसरा दिन :- चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन शक्कर और पंचामृत का भोग मां के समक्ष अर्पित कर सकते हैं। इसे उनका प्रिय भोग माना जाता है।

नवरात्रि तीसरा दिन :- मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस प्रसाद से मां चंद्रघंटा अधिक प्रसन्न होती हैं।

नवरात्रि चौथा दिन :- नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगा सकते हैं। मालपुए का भोग माता को पसंद आएगा और प्रसाद स्वरूप सभी में वितरित करें।

नवरात्र में पांचवां दिन :- पांचवें दिन दुर्गा मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि माता को केले का भोग लगाने से सभी शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

नवरात्रि में छठा दिन :- नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी को भोग में लौकी, मीठे पान या शहद चढ़ाया जा सकता है।

नवरात्रि में सातवां दिन :- माता कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। मां कालरात्रि शत्रुओं का नाश करने वाली होती हैं। मां कालरात्रि को गुड से निर्मित भोग लगाना चाहिए।

नवरात्रि के आठवें दिन :- माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की नवरात्रि के आठवें दिन पूजा की जाती है। माता महागौरी को नारियल का भोग प्रसाद में अर्पित करें। मां को नारियल का गोला चढ़ाएं या फिर नारियल से बनी मिठाई व लड्डू अर्पित करें।

नवरात्रि का नौवां दिन :- चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। नवमी को कन्या पूजन होता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री को हलवा पूड़ी, खीर या चना मसाला का भोग अर्पित करके कन्या पूजन किया जाता है।

 

 

 

 

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