टीएचडीसीआईएल ने किये एनएचएआई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिरता सुनिश्चित करना है
ऋषिकेश। आर.के.विश्नोई अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआईएल) की टीम को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को “तकनीकी सलाहकार” के रूप में तकनीकी सेवाएं प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने हेतु बधाई दी। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एनएचएआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय में किए गए। श्री विश्नोई ने बताया कि इस समझौते के तहत, टीएचडीसीआईएल एनएच-44 पर उधमपुर और रामबन के मध्य भूस्खलन के संवेदनशील क्षेत्रों का आकलन करेगा और खतरनाक ढलानों के लिए शमन उपाय प्रदान करेगा। श्री विश्नोई ने कहा कि सड़क का यह हिस्सा राष्ट्रीय रणनीतिक महत्व का है, क्योंकि यह राष्ट्र को कश्मीर घाटी के साथ महत्वपूर्ण संपर्क प्रदान करता है। श्री विश्नोई ने कहा टीएचडीसीआईएल और एनएचएआई के मध्य इस सहयोग का उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और भूस्खलन से जुड़े जोखिमों को चिन्हित करके क्षेत्र के बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिरता सुनिश्चित करना है। श्री विश्नोई ने कहा कि अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के लिए तकनीकी समाधान प्रदान करने में टीएचडीसीआईएल की विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता का उपयोग किया जाना एक विशिष्टतायुक्त विकास का द्योतक है। यह साझेदारी क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवहन अवसंरचनात्मक ढांचे के समग्र सुधार और रखरखाव में योगदान देगी। टीएचडीसीआईएल की ओर से श्री अतुल जैन, कार्यपालक निदेशक (तकनीकी) एवं एनएचएआई की ओर से श्री अमरेंद्र कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (टी) ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन को सफलतापूर्वक निष्पादित करने में टीएचडीसीआईएल की ओर से श्री नीरज कुमार अग्रवाल, अपर महाप्रबंधक (परिकल्प-सिविल), श्री अवकेश कुमार, प्रबंधक (परिकल्प-सिविल) एवं एनएचएआई की ओर से श्री पी.एन.गवाष्णे, महाप्रबंधक (टी) ने विशेष योगदान दिया। टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश में प्रमुख विद्युत उत्पादक है, जिसमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट और द्वारका में 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं, उत्तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना और केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को इसका श्रेय जाता है।