हरीश रावत बोले : उत्तराखंडियत के प्रति निष्ठावान
हेरा-फेरी की आदत में गड़बड़ है जो एक बार डगमगाया उस पर फिर कोई विश्वास नहीं करता है।
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज अपने फेसबुक पेज मे लिखा हैं की “चोर-चोरी से जाए, हेरा-फेरी से न जाए” बड़ा ही दिलचस्प मुहावरा है, वास्तविकता है! बचपन में मां का प्यार चुराया, फिर गांव, घर, अड़ोस-पड़ोस, फिर ककड़ियां और फल चुराये, गुरुजनों से ज्ञान चुराया लेकिन कुछ कम चुरा पाया, फिर मैंने उत्तराखंड आंदोलनकारी शब्द भी चुराया, विजय बहुगुणा, श्री सतपाल, श्री गोविंद सिंह से मैंने भराड़ीसैंण-गैरसैंण शब्द भी चुराया और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो अपनी कई पहलों को नाम देने के लिए “उत्तराखंडियत” शब्द भी चुराया। मगर मैं निष्ठावान हूं, मां के प्रति, अपने घर-गांव व अड़ोस-पड़ोस के प्रति, गुरुजनों के प्रति, भराड़ीसैंण-गैरसैंण के प्रति, राज्य आंदोलन के प्रति और अब “उत्तराखंडियत” के प्रति निष्ठावान हूं। भराड़ीसैंण राजधानी शब्द जिनसे चुराया उनमें से दो लोग तो निष्ठावान नहीं रह गए हैं श्री सतपाल और श्री विजय! देखते हैं जिससे उत्तराखंडियत शब्द चुराया वो उसके प्रति कितना निष्ठावान रह पाता है!! हां मैं हेरा-फेरी वाला नहीं हूं। अपनी धरती, अपने राज्य और अपनी पार्टी, अपने नेता, सबके प्रति मेरी निष्ठा अटूट है। हेरा-फेरी की आदत में गड़बड़ है जो एक बार डगमगाया उस पर फिर कोई विश्वास नहीं करता है।