बिजली के दामों में प्रस्तावित वृद्धि तुरंत वापस ले राज्य सरकारः करन माहरा
एक ओर राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है
देहरादून, 01 मार्च। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश में प्रस्तावित विद्युत दरें तुरन्त वापस लिये जाने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रस्तावित विद्युत दरें वापस लिये जाने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है, जोकि जनहित में न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। बिजली की दरों में प्रस्तावित वृद्धि का राज्य सरकार के निर्णय से पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही आम जनता पर दोहरी मार पड़ेगी जिसका खामियाजा गरीब व आम जनता को भुगतना पड़ेगा। विद्युत उत्पादक राज्य होने के बावजूद उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व से ही बिजली की दरें अन्य कई राज्यों की अपेक्षा काफी अधिक हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण गरीब व आम आदमी पहले से ही मंहगाई की मार से त्रस्त है। पिछले एक वर्श के अन्तराल में आम जरूरत की चीजों के दामों में कई गुना वृद्धि पर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोलिय पदार्थ तथा खाद्य्य पदार्थों के लगातार बढ़ रहे दामों के बाद अब राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में भारी वृद्धि कर जनता को मंहगाई के बोझ से लादने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है वहीं दूसरी ओर गुजरात बेस अल्पस कम्पनी एवं श्रावंती कम्पनी को बिना बिजली उत्पादन किये ही करोड़ों रूपये का भुगतान किस ऐबज में किया गया है यह समझ से परे है। रसोई गैस, पेट्रोलिय पदार्थ तथा खाद्य्य पदार्थों की आसमान छूती कीमतों के कारण आम आदमी को पहले ही दो वक्त की रोटी के लिए संघर्श करना पड़ रहा है ऐसे में उत्तराखण्ड राज्य में बिजली की दरों में वृद्धि का राज्य सरकार का निर्णय आम जनता के हित में नहीं है तथा पहले से ही मंहगाई की मार से पीड़ित जनता के ऊपर यह एक और बोझ आम आदमी के जीने की राह में कठिनाई पैदा करेगा। करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि व्यापक जनहित को देखते हुए सभी प्रकार के विद्युत दरों में प्रस्तावित वृद्धि के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।