छत्तीसवां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला : मेले में शिक्षा का अधिकार पर नुक्कड़ नाटक
अधिनियम का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।
फरीदाबाद, 09 फरवरी। शिक्षा विभाग के आदेशानुसार राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा के निर्देशानुसार छत्तीसवें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में डिस्ट्रिक्ट लीगल लिटरेसी स्टॉल पर शिक्षा का अधिकार विषय पर जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर शिक्षा के महत्ता पर प्रकाश डाला। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि शिक्षा का अधिकार के माध्यम से हरियाणा राज्य में कक्षा एक से कक्षा आठ तक के सभी विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार था जिसे अब मौलिक अधिकार बना दिया गया है। शिक्षा का अधिकार के लिए विकास इस प्रकार हुआ है कि भारत के संविधान में प्रारंभ में शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद 41 के अंतर्गत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से मान्यता दी गई थी। इस अधिनियम का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। भारतीय संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और केंद्र व राज्य दोनों इस विषय पर अधिनियम बना सकते हैं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा और विद्यालय की प्राध्यापिका मुक्ता तनेजा एवम रजनी कपूर ने विद्यालय के छात्रों द्वारा छत्तीसवें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले के लिए लीगल लिटरेसी और शिक्षा विभाग के स्टॉल पर राइट टू एजुकेशन पर नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी मेला दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रशंसा करते हुए शिक्षा के अधिकार को बालकों और बालिकाओं के लिए उन्नति का द्वार खुलने के समकक्ष कहा और विशेषकर सभी बालिकाओं को अच्छे से शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। समस्त विद्यालय परिवार, प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा, प्राध्यापिका प्रज्ञा मित्तल, मोनिका, राजीव लाल, गीता सहित अन्य अध्यापकों ने भी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए सभी जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड सदस्य विद्यार्थियों का अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में विद्यालय का प्रतिनिधित्व करने और शिक्षा के अधिकार को जन जन तक पहुंचने के लिए उत्साहवर्धन किया।