जेपी कालोनी के पिछले हिस्से से निकल रहा पानी अभी भी बना हुआ रहस्य
पिछले 25 दिनों में निकल चुका 02 करोड़ 21 लाख 40 हजार लीटर से अधिक पानी
देहरादून। जोशीमठ भू-धंसाव के हर पहलू की जांच पड़ताल बारीकी से कर रहे वैज्ञानिकों के लिए जेपी कालोनी के पिछले हिस्से से निकल रहा पानी अभी भी रहस्य बना हुआ है। आठ टीमों ने जो प्राथमिक रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को सौंपी है, उसमें लगातार रिस रहे पानी के स्रोत के प्रति अनभिज्ञता जताई गई है। अभी विस्तृत अध्ययन जारी है। जोशीमठ की जमीन धंसने के साथ ही यहां जेपी कालोनी के पास से पिछले 25 दिनों में 02 करोड़ 21 लाख 40 हजार लीटर से अधिक पानी निकल चुका है। इतना पानी किसी बड़ी झील के बराबर माना जा रहा है। जोशीमठ के अध्ययन में भू-धंसाव के साथ ही इस पानी का भी खास कनेक्शन तो माना जा रहा है लेकिन वैज्ञानिकों की पहली जांच रिपोर्ट के बावजूद यह रहस्य बरकरार है। जेपी कालोनी के पीछे आ रहे इस पानी के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच) रुड़की ले चुका है। आईआईटी और वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक यहां की जमीन की जियो फिजिकल और जियो टेक्निकल जांच में जुटे हुए हैं। इसके अलावा सीबीआरआई, आईआईआरएस, जीएसआई, सीजीडब्ल्यूडी, एनजीआरआई हैदराबाद के वैज्ञानिक भी जोशीमठ के अध्ययन में लगे हुए हैं। सभी आठ वैज्ञानिक संस्थानों की टीमों ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट एनडीएमए को भेजी है, जिसमें यह पता नहीं चल पाया कि पानी कहां से आ रहा है। जेपी कालोनी के पीछे निकल रहे पानी को लेकर वैज्ञानिक अभी कयासबाजी में ही लगे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने राज्य सरकार को बताया है कि यहां कोई पानी का स्त्रोत होना मुश्किल है। इसके बजाए ऐसा लग रहा है कि जमीन के नीचे किसी जगह पर काफी पानी एकत्र हो गया है, जो कि अब एक जगह से बाहर निकल रहा है।
डॉ. रंजीत सिन्हा सचिव आपदा प्रबंधन उत्तराखंड का कहना हैं की वैज्ञानिकों के अब तक के अध्ययन में यह पता नहीं चल पाया है कि पानी कहां से आ रहा है। प्राथमिक रिपोर्ट में भी इसका जिक्र नहीं है। अभी अध्ययन चल रहा है। विस्तृत रिपोर्ट में इसके बारे में तस्वीर स्पष्ट होगी।