तो क्या निजीकरण के मार्ग पर आगे बढ़ रहा उत्तराखंड पावर कारपोरेशन
कंपनियों से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की शुरुआत माना जा रहा पहला कदम

देहरादून, 08 फरवरी। इन दिनों उत्तराखंड राज्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य बेहद तेजी से चल रहा हैं, जहां ऊर्जा निगम की ओर से कुमाऊं क्षेत्र में अडानी ग्रुप को 6.25 लाख मीटर का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं गढ़वाल क्षेत्र में जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड कंपनी की ओर से लगभग 9.62 लाख मीटर की स्थापना की जाएगी। बताया जा रहा हैं की फिलहाल मार्च तक का बिल पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही आयेगा, लेकिन अप्रैल माह मे जब कम्पनी का एप्प बन कर तैयार हो जायेगा, तब से उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के द्वारा बिल भेजने की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और नई नीति के तहत प्रीपेड रिचार्ज शुरू हो जायगा।
कहा तो यह भी जा रहा हैं की कंपनी जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रहीं हैं यदि वह खराब हो जाते हैं या फिर जल जाते हैं तो उन्हे बदलने के लिये कंपनी का एक कर्मचारी उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के सब स्टेशन मे तैनात रहेगा जो 24 घंटे में खराब मीटर को बदलने की कार्यवाही करेगा। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा हैं की जब एक निजी कम्पनी का कर्मचारी कारपोरेशन के सब स्टेशन में तैनात रहेगा, तो इसे सरकारी विभाग के कार्यालय में निजी कम्पनी का दखल नहीं होगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य तो निजी कंपनियों से कराना मात्र एक शुरुआत हैं, असल में तो उत्तराखंड पावर कारपोरेशन निजीकरण के मार्ग पर आगे बढ़ रहा हैं। जिन कंपनियों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य दिया गया हैं, उनमे से किसी एक को उत्तराखंड पावर कारपोरेशन का सारा काम काज सौप दिया जायेगा। खुद पावर कारपोरेशन मे इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना हैं की कारपोरेशन का निजीकरण होना तय हैं। इसके लिये जो दौड़ हैं उसमे सबसे आगे अडानी ग्रुप व जीनस कम्पनी शामिल हैं। यदि उत्तराखंड पावर कारपोरेशन का निजीकरण हो जाता हैं तो इसका सबसे ज्यादा फायदा उपभोगताओं को होगा। परेशानी केवल विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों को होनी हैं। और तो और जो कर्मचारी उपनल से लगे हैं उन्हे भी कोई परेशानी नहीं होंगी।