उत्तराखंड समाचार

विधान सभा अध्यक्षा ने किया गढ़वाली बाल कहानी संग्रह का विमोचन

बच्चों के लिए क्षेत्रीय भाषा में अच्छे साहित्य की जरूरत : श्रीमती ऋतु खंडूड़ी

देहरादून,13 दिसम्बर। आज उत्तराखंड की विधान सभा अध्यक्षा श्रीमती ऋतु खंडूड़ी भूषण ने अपने आवास पर डॉक्टर कुसुम रानी नैथानी ‘डॉ. के. रानी’ के बिनसर पब्लिकेशन देहरादून से प्रकाशित गढ़वाली बाल कहानी संग्रह ‘पुरखों का किस्सा’, अद्विक प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी बाल कहानी संग्रह ‘उल्टा पड़ा दांव’ व प्रकाशन विभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली से प्रकाशित ‘पेड़ बोलने लगे’ का विमोचन किया। विधानसभा अध्यक्षा द्वारा ‘पुरखों का किस्सा’, ‘उल्टा पड़ा दांव ‘ व ‘पेड़ बोलने लगे’ पुस्तकों के प्रकाशन पर डॉ. नैथानी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। गढ़वाली भाषा में लिखी गई पुस्तक ‘पुरखों का किस्सा’ की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा की बच्चों के लिए क्षेत्रीय भाषा में अच्छे साहित्य की जरूरत है। उम्मीद है कि भविष्य में भी वे बच्चों के लिए अपनी बोली भाषा में उत्कृष्ट साहित्य का प्रकाशन करती रहेंगी। इस पुस्तक में उत्तराखंड की पैंतीस लोक कथाएं शामिल हैं। ‘उल्टा पड़ा दांव’ व पेड़ बोलने लगे’ बाल कहानी संग्रहों में बच्चों के लिए विभिन्न विषयों पर्यावरण, वन संरक्षण, अंधविश्वास निवारण एवं सामान्य जन जीवन से जुड़ी हुई कहानियां लिखी गई हैं। उनके द्वारा सरल भाषा में लिखी गई बाल कहानियों की विधानसभा अध्यक्षा द्वारा प्रशंसा की गई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बच्चों मे छुटपन से ही किताबें पढ़ने की रुचि जगानी जरूरी है। किताबें पढ़ने से बच्चों का भाषा ज्ञान बढ़ता है। इसके साथ ही उन्हें नए विषयों का ज्ञान भी होता है। वर्तमान समय में बच्चे अपना अधिकांश समय मोबाइल, कंप्यूटर तथा अन्य गैजेट्स पर बिता रहे हैं। अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे बच्चों को इन सब से हटाकर किताब थमाएं और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। बचपन से पुस्तक पढ़ने की आदत उन्हें जीवन पर्यन्त अच्छी बातें सीखने के लिए प्रेरित करती हैं।

गढ़वाली भाषा में ‘पुरखों का किस्सा’ बाल कथाकारा डॉ. कुसुम रानी नैथानी ‘डॉ. के. रानी’ का चौथा व हिंदी में ‘उल्टा पड़ा दांव’ व पेड़ बोलने लगे’ सातवां व आठवां बाल कहानी संग्रह हैं। इनके द्वारा अब तक हिंदी में आठ सौ से अधिक बाल कहानियां, आठ बाल कहानी संग्रह हिंदी में, चार गढ़वाली में तथा एक बाल उपन्यास हिंदी में प्रकाशित हो चुका है। इनकी लिखी कहानियां राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। शैलेश मटियानी उत्तराखंड राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार (2015), राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार(2016) एवं जिला प्रशासन देहरादून द्वारा कोरोना योद्धा सम्मान (2020) से सम्मानित भूतपूर्व प्रधानाचार्या  एवं जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण गढ़वाल मंडल देहरादून (उत्तराखंड) की सदस्या डॉ. कुसुम रानी नैथानी बच्चों के लिए विगत सत्रह वर्षों से पाक्षिक बाल समाचार पत्र ‘बालपक्ष’ का भी सफल संपादन कर रही हैं। इनकी लिखी कई कहानियां पुरस्कृत हो चुकी हैं।

 

 

 

 

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