उत्तराखंड समाचार

199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 फर्जी फर्मों के सिंडिकेट का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार

सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने एकत्रित मानव आधारित खुफिया जानकारी के आधार पर फर्जी बिलर्स के खिलाफ समन्वित रूप से “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” शुरू किया, जिसे जमीनी खुफिया जानकारी की सहायता के साथ डेटा माइनिंग और डेटा एनालिसिस के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।

नई दिल्ली। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) दिल्ली पूर्वी आयुक्तालय (कमिश्नरेट) ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” के तहत 199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 एक-दूसरे से जुड़े फर्जी फर्मों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने एकत्रित मानव आधारित खुफिया जानकारी के आधार पर फर्जी बिलर्स के खिलाफ समन्वित रूप से “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” शुरू किया, जिसे जमीनी खुफिया जानकारी की सहायता के साथ डेटा माइनिंग और डेटा एनालिसिस के माध्यम से आगे बढ़ाया गया। इस अभियान के पहले चरण में, कुल 48 नकली/फर्जी फर्मों की पहचान की गई है, जो या तो अस्तित्व में नहीं हैं या फिर कागजी फर्में हैं। ये फर्में फर्जी चालान का काम कर रही थीं। ऐसे चालान वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना बनाए गए थे, जो जीएसटी कानून के तहत एक अपराध है। तीन लोगों को पकड़ लिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, पटियाला हाउस द्वारा दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस सिंडिकेट के अन्य सदस्यों और सरगनाओं की पहचान कर ली गई है और आगे की जांच की जा रही है। पकड़े गए व्यक्तियों में से एक, जोकि मेसर्स एम.के. ट्रेडर्स का मालिक था, पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी वाली आईटीसी का लाभ उठाने के कार्य में लिप्त पाया गया, जिसका बड़ा हिस्सा अन्य जुड़े लिंकों को दे दिया गया था। पकड़े गए अन्य दो व्यक्ति इस सिंडिकेट को सहायता व बढ़ावा दे रहे थे और सिंडिकेट के कामकाज में सहायक थे। इस अभियान के दौरान 55 अलग-अलग फर्मों से संबंधित टिकट, कई सिम कार्ड एवं आधार कार्ड जैसे दस्तावेज और तीसरे पक्ष से संबंधित बिजली बिल सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई। यह पूरा अभियान दुर्गम इलाके में चलाया गया, जिसमें दिल्ली की संकरी गलियां और संवेदनशील इलाके शामिल थे। यह अभियान केवल दिल्ली पुलिस के सौहार्दपूर्ण सहयोग के कारण संभव हुआ, जिसने जीएसटी अधिकारियों की सहायता के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया था। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

 

 

 

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