देहरादून। उत्तराखंड राज्य की 70 विधान सभा सीट पर भाग्य अजमा रहे 632 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला तो जनता गत दिवस कर चुकी हैं। उत्तराखंड राज्य मे निर्वाचन आयोग के अनुसार लगभग 65.10 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया हैं। आयोग के अनुसार जो मत प्रतिशत बताया गया उसके आधार पर सभी प्रत्याशी आज दिन भर अपने-अपने हिसाब से हार जीत के आकड़े लगाते रहे। जहां तक बात जनपद देहरादून की हैं तो, यहां 10 विधानसभा सीटों पर 117 प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में कैद हुआ हैं। देहरादून जनपद में 62.24 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे अधिक विकासनगर विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग हुई। अधिकांश सीट पर अब मतदान के बाद तस्वीर साफ दिखाई दे रही हैं, जो अनुमान प्रत्याशी लगा रहे हैं, उसके अनुसार भाजपा-कांग्रेस की आमने सामने टक्कर होती दिखाई दे रहीं हैं। बात चाहे चकराता, देहरादून कैंट की हो या फिर धर्मपुर, डोईवाला, मसूरी, रायपुर, राजपुर रोड, ऋषिकेश, सहसपुर, विकासनगर विधानसभा क्षेत्र की सभी जगह भाजपा-कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के गुणा-भाग मे जुटे रहे। मत प्रतिशत के आधार पर जीत का गुणा-भाग कितना सही बैठेगा, यह तो आने वाली 10 मार्च के दिन पता चलेगा। फिरहाल आज दिन भर प्रत्याशी अपने गुणा-भाग में जुटे रहे। वर्ष -2017 में संपन्न चुनाव के मुकाबले मसूरी सीट पर इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ा है जबकि शेष दो सीट ऋषिकेश एवं चकराता पर कम हुआ है। चकराता सीट पर इस बार करीब साढ़े पांच फीसद के अंतर प्रत्याशियों एवं पार्टियों की चिंता बढ़ा रहा है। जिले की तीन वीआइपी सीट ऋषिकेश, मसूरी व चकराता में दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है। कांग्रेस, ऋषिकेश व मसूरी सीट अपनी झोली में करना चाह रही है तो भाजपा उक्त दोनों सीटों को बचाने के साथ ही चकराता सीट पर जीत का स्वाद चखना चाह रही। मसूरी सीट से भाजपा के प्रत्याशी गणेश जोशी का कहना हैं की मसूरी विधानसभा सीट पर इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। यह हमेशा ही भाजपा के पक्ष में रहता है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी गोदावरी थापली ने कहा कि चुनावी माहौल शुरू से ही कांग्रेस के पक्ष में बना हुआ था। मतदान में जनता ने जिस जोश से भागीदारी की, उससे स्पष्ट हो गया है कि आमजन प्रदेश में बदलाव चाहता है। मतदान प्रतिशत बढऩे से कांग्रेस को फायदा होगा। भाजपा सरकार से तंग आकर मसूरी क्षेत्र के मतदाता बड़ी संख्या में मतदान को पहुंचे। आगामी 10 मार्च को मसूरी सीट के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से सरकार बनाएगी। ऋषिकेश सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा की वर्ष 2017 के चुनाव की तुलना में इस बार तीन प्रतिशत मतदान कम होना ज्यादा चिंताजनक बात नहीं है। कई मतदान केंद्रों पर धीमी गति से मतदान इसका कारण हो सकता है। इतना जरूर तय है कि महिला मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों को एक बार फिर से पसंद किया है। निश्चित रूप से चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में जाएंगे।
इस चुनाव में लगभग 65.10 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया। हालांकि निर्वाचन आयोग के मुताबिक पोलिंग पार्टियों के अभिलेखों के मिलान के बाद इसमें कुछ परिवर्तन हो सकता है। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए पहले तीन विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत में लगातार वृद्धि हुई, जबकि वर्ष 2017 के चौथे विधानसभा चुनाव में इसमें एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई थी। मतदाता के दिल में क्या है, इसे भांप पाने में अंत तक राजनीतिक दल सफल नहीं हुए। बदली परिस्थितियों में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान को लेकर राजनीतिक विश्लेषक व दल अलग-अलग आकलन कर रहे हैं।