एक के बाद एक हादसे का शिकार बनीं तीन ट्रेनें
ओडिशा ट्रेन हादसा: भारत के सबसे घातक रेल हादसों में से एक
नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। घटना बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास हुई। स्टेशन से कुछ दूरी तय करने के बाद एक ट्रेन मेन लाइन छोड़कर लूप लाइन में चली गई और हादसा हो गया। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसा, देश के सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है। इस हादसे में अभी तक 238 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 900 के करीब लोग घायल हैं। तीन ट्रेनें हादसे का शिकार हुईं। हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रेल की कई बोगियां बुरी तरह से तबाह हो गई हैं। वहीं एक बोगी घटनास्थल से कुछ दूरी पर जाकर गिरी है, जिससे अंदाजा लगा सकते हैं कि टक्कर कितनी जबरदस्त थी। बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी हादसे की शिकार हुईं। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटनास्थल का दौरा किया और राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया। दुर्घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य अभी भी चल रहे हैं। सभी नजदीकी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। एनडीआरएफ की छह टीमें, एसडीआरएफ की चार टीमें, रैपिड एक्शन फोर्स की टीमें, 15 फायर विभाग की टीमें, 30 डॉक्टर, 200 पुलिसकर्मी और 60 के करीब एंबुलेंस घटनास्थल पर मौजूद हैं। रेल मंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के लिए 10 लाख रुपए, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख रुपए और अन्य घायलों के लिए 50 हजार रुपए के मुआवजे का एलान किया है। वहीं पीएम मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए पीएम नेशनल रिलीफ फंड से मृतकों को दो लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है। घटनास्थल पहुंचे रेलमंत्री ने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। साथ ही रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर भी घटनास्थल का दौरा कर अपनी रिपोर्ट देंगे। रेल मंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि फिलहाल उनका फोकस राहत और बचाव कार्यों पर है। रेलवे द्वारा हादसे के बाद हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। इन नंबर्स पर कॉल करके लोग अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी पा सकते हैं। ओडिशा के बालासोर में बड़ा ट्रेन हादसा होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री शनिवार को घटनास्थल पर पहुंची। इस दौरान उन्होंने पहले कहा कि यह राजनीति करने का वक्त नहीं है। उन्होंने घायलों के उपचार के लिए चालीस डॉक्टरों की टीम भेजी है। उन्होंने कहा कि जब तक बचाव कार्य खत्म नहीं हो जाता, उनकी सरकार रेलवे और ओडिशा सरकार की मदद करने के लिए तत्पर है। हालांकि, बाद में मौत के आंकड़ों को लेकर उनका रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से टकराव हो गया। उन्होंने आशंका हादसे में पांच सौ से ज्यादा लोगो की मौत की बड़ी आशंका जताई। हालांकि, वैष्णव ने तुरंत उन्हें टोक दिया और कहा कि अब तक 238 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। देर शाम तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। दरअसल, हालात का पूरा जायजा लेने के बाद बनर्जी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पांच सौ से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका जताई। लेकिन, वैष्णव ने तत्काल इस पर आपत्ति जताई और कहा कि मौत का आधिकारिक आंकड़ा सामने है। अब तक 238 लोगों की मौत हुई है।
ममता बनर्जी ने कहा, यह राजनीति करने का समय नहीं है। मैं यहां रेल मंत्री और सरकार के साथ खड़ी हूं। एक अच्छी जांच होनी चाहिए। इतने लोग कैसे मरे। सुना है पांच सौ मरे हैं। हालांकि, रेल मंत्री वैष्णव ने तुरंत आपत्ति जताते हुए कहा अभी तक 238 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है। तीन बार देश की रेल मंत्री रह चुकीं ममता ने कहा, अब रेल बजट नहीं आता। रेलवे मेरे बच्चे की तरह है। मैं रेल परिवार की सदस्य हूं। मैं अपने सुझाव देने को तैयार हूं। अगर गंभीर घायलों का यहां इलाज नहीं हो पाता है तो उन्हें कोलकाता ले जाने के लिए तैयार हूं।
ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने की वजह से हुए हादसे में अब तक 233 लोगों की जान जाने की खबर है। वहीं, करीब 900 लोग घायल हैं। इस घटना के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से लेकर सुरक्षाबलों के कई जवानों को भी राहत-बचाव कार्यों में लगा दिया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शनिवार सुबह भी घटनास्थल से शवों को निकालने का काम जारी रहा। इस हादसे को लेकर ओडिशा सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। इस हादसे के कई घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक कई लोगों को यह साफ नहीं है कि आखिर तीन ट्रेनें आपस में टकराईं कैसे?
ओडिशा में शुक्रवार को बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच ट्रेन दुर्घटना हुई। इस हादसे में कम से कम 233 लोग मारे गए तो वहीं 900 से अधिक घायल हुए। आजादी के बाद से यह अबतक की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है।
कैसे हुई ट्रेन दुर्घटना? :-
शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई की ओर जा रही थी। यह ट्रेन ट्रैक से उतरकर दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरियों पर ही पलट गए।
बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस बगल वाले ट्रैक से हावड़ा की ओर जा रही थी। इसी दौरान उसकी टक्कर ट्रैक पर पलटे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से हो गई। इस टकराव के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे भी पटरी से उतर गए।
बताया जाता है कि यह हादसा बालासोर जिले के बहंगा बाजार स्टेशन पर हुआ, जो कि कोलकाता से दक्षिण में 250 किलोमीटर और भुवनेश्वर से उत्तर में 170 किलोमीटर पर स्थित है।
अधिकारियों के मुताबिक, कोरोमंडल के डिब्बे शाम करीब 6.55 बजे पटरी से उतर गए, वहीं दूसरी ओर से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के डिब्बे 7 बजे पटरी से उतर गए। यानी यह घटना महज पांच मिनट के अंतराल में हुई।
इससे पहले कब-कब ऐसी दुर्घटनाएं देखने को मिली है :-
06 जून 1981: यह वह दिन था जब बिहार को सबसे घातक ट्रेन दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। ब्रिज को पार करते हुए ट्रेन बागमती नदी में जा गिरी थी। इस हादसे में 750 लोगों की मौत हो गई थी।
20 अगस्त 1995: फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी हुई कालिंदी एक्सप्रेस से टकरी गई। इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 305 के करीब थी।
26 नवंबर 1998: पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस पटरी से उतरे फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल की तीन डिब्बों से टकरा गई। इस हादसे में 212 लोग मारे गए थे।
02 अगस्त 1999: ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई, जिसमें 285 लोग मारे गए और 300 के करीब घायल हुए थे।
20 नवंबर 2016: पुखरायन में इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने की वजह से घातक हादसा हुआ, जिसमें 152 लोगों की मौत और 260 घायल हुए थे।
09 नवंबर 2002: रफिगंज के धावे नदी के ऊपर बने ब्रीज में हावड़ा-राजधानी एक्सप्रेस पलट गई, जिसमें 140 लोग मारे गए थे।
23 दिसंबर 1964: रामेश्वरम में चक्रवात में पंबन धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन के बह जाने की वजह से 126 यात्री मारे गए थे।
28 मई 2010: मुंबई जा रही ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और सामने से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में 148 यात्री मारे गए थे।