सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ सचिवालय कूच
मज़दूरों एवं गरीबों के हक़ों पर प्रदेश भर में आंदोलन, देहरादून में सचिवालय कूच
देहरादून 30 मई। तिलाड़ी विद्रोह की याद में, वर्त्तमान सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ और गरीबों के हक़ों पर राज्य के विपक्षी दल एवं जन संगठनो ने जुलूस निकाल कर गाँधी पार्क के गेट से सचिवालय कूच किया।
आज तिलाड़ी विद्रोह की 93 वी बरसी पर सैकड़ों लोगों के साथ राज्य के जन संगठनों एवं विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने सचिवालय कूच करते हुए राज्य सरकार से मांग की कि सरकार मज़दूरों को हक़ दे, लोगों को बेघर न करे, और नफरत की राजनीती पर रोक लगा दे तथा वन अधिकार कानून पर अमल करे। इस अवसर पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने कहा कि एक तरफ प्रदेश सरकार कानून और वन अधिकार अधिनियम की धज्जिया उडा कर नफरत से भरा हुआ अभियान चला रहे हैं, जिसके अंतर्गत प्रदेश भर में लोग को बेघर करने की सम्भावना बन रही है। दूसरी तरफ कल्याणकारी योजनाओं और ख़ास तौर पर मज़दूर कल्याण योजना से लोगों को वंचित किया जा रहा है। सालों से अधिकांश लोगों को कोई सहायता नहीं दी गई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 पर अमल करने से और भू कानून 2018 के संशोधन को रद्द करने से राज्य की ज़मीन और प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित रहेंगे। लेकिन सरकार “लैंड जिहाद” के नाम से दुष्प्रचार द्वारा असली एजेंडा को छुपाया जा रहा है। 200 साल पुराने मज़ारों को तोड़े गए हैं जबकि उस समय वन विभाग था ही नहीं, तो वह अतिक्रमण कैसे सकता है? उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल ने कहा कि मज़दूरों और गरीबों को घर, योजना के लाभ और उनके हक़ों दिलाने के बजाय के साम्प्रदायिकता एवं दमन को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, उत्तराखंड महिला मंच के निर्मला बिष्ट, और चेतना आंदोलन के सुनीता देवी ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। देहरादून के सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपते हुए प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाया कि हर मज़दूर का पंजीकरण हो और सालाना सहायता दिया जाये, राज्य में अतिक्रमण हटाने के नाम पर किसी को बेघर नहीं किया जायेगा, इस पर अध्यादेश लाया जाये; प्रदेश भर में वन अधिकार कानून 2006 पर अमल किया जाये और हर गांव और पात्र परिवार को अधिकार पत्र दिया जाये; और प्रशासन धर्म के आधार पर या अन्य प्रकार का भेदभाव न करे। कानून का राज को राज्य में स्थापित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय के 2005 एवं 2018 के फैसलों पर पूरी तरह से अमल हो। कार्यक्रम का संचालन चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने किया। तिलाड़ी विद्रोह की याद में और इन्ही मुद्दों पर आज रामनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, सल्ट, पौड़ी, बागेश्वर, हरिद्वार, द्वाराहाट, गोपेश्वर, चमियाला और राज्य के अन्य क्षेत्रों में भू कार्यक्रम आयोजित किए गए।