उत्तराखंड समाचार

दून में लागू होगा यातायात का पीआरटी सिस्टम

मुख्य सचिव ने भाजपा के चुनाव दृष्टिपत्र पर अब तक हुई कार्रवाई का ब्योरा तलब

देहरादून। हरिद्वार के बाद देहरादून अब प्रदेश का ऐसा दूसरा शहर होगा जहां पॉड टैक्सी चलाने की तैयारी है। सिंगापुर की तर्ज पर यहां (पर्सनल रैपिड ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट (पीआरटी) के तहत बिना ड्राइवर वाली पॉड टैक्सी चलाने की योजना पर सहमति बन गई है। पहले चरण में पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन तक छह किमी लंबे रूट पर इसका संचालन होगा। मुख्य सचिव ने पीआरटी को सराहते हुए इसे शहर के ऐसे इलाकों के लिए उपयोगी बताया, जहां नियो मेट्रो नहीं चल सकती है। जाम से निजात और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के लिए दून में यातायात का पीआरटी सिस्टम लागू होगा। इसके तहत पॉड टैक्सी या विशेष तौर पर निर्मित गाइडवे नेटवर्क पर 4-6 यात्रियों की क्षमता वाले वाहन संचालित होंगे। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कंप्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान के तहत पीआरटी सिस्टम का प्रजेंटेशन दिया। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पॉड टैक्सी को पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन तक चलाया जाएगा। पहले इस रूट पर रोप-वे चलाने की योजना थी। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने शहर की यातायात समस्या को देखते हुए पीआरटी सिस्टम को जल्द लागू कराने के निर्देश दिए। पीआरटी एक तरह का ऑटोमेटेड गाइडवे ट्रांजिट (एजीटी) है। यह व्यक्तिगत या छोटे समूह की यात्रा के लिए मुफीद होता है। यह प्रणाली बेहद सस्ती है और मेट्रो, रैपिड ट्रेन की तुलना में इसकी लागत काफी कम है। राज्य सरकार शहरों में ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए सुगम और सुविधाजनक यातायात का साधन उपलब्ध कराना चाहती है। इसलिए नियो मेट्रो के अलावा अन्य विकल्पों की भी तलाश की जा रही है।
पॉड टैक्सी :-पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट (पीआरटी) या पॉड टैक्सी पूरी तरह स्वचालित होती है। यह कार के आकार की होती है और स्टील के ट्रैक पर चलती है। इस टैक्सी को चलाने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके जरिये तीन से लेकर छह तक यात्रियों को एक बार में ले जाया जा सकता है। पीआरटी के तहत चलने वाली ड्राइवरलेस कार सड़क पर नहीं बल्कि कॉलम पर बने स्ट्रक्चर पर चलेगी। यह यात्रियों के बटन दबाने पर खुद उनके पास पहुंच जाएगी। यह विश्व का सबसे आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है। दुनिया में पहली पॉड टैक्कासी वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में वर्ष 1970 में चलाई गई थी।

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