6 अप्रैल को मनाई जाएगी हनुमान जयंती : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है।
देहरादून, 01 अप्रैल। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की इस साल हनुमान जयंती 06 अप्रैल को मनाई जाएगी। बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले और स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकटमोचन हनुमान का अवतरण चैत्र माह में पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से महाबली हनुमान की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी को संकट मोचन कहा जाता है। इनके पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 6 अप्रैल की सुबह 10 बजकर 4 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती 06 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय भगवान राम का पूजन अवश्य करें, क्योंकि प्रभु श्री राम की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
हनुमान जयंती भगवान हनुमान और भगवान राम के उत्साही भक्त के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। हर साल चैत्र के महीने के दौरान पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान हनुमान के भक्त उनकी पूजा करने के लिए मंदिरों में जाते हैं और उन्हें बूंदी, लड्डू और पान का भोग लगाते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान जी को रुद्र का अवतार माना गया है। यही वजह है कि हनुमान जी के भक्त हनुमान जयंती पर इनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
हनुमान जयंती के दिन पवनपुत्र की पूजा विधि-विधान से की जाती है और संकटों को हरने वाले रामभक्त हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि चोला चढ़ाने से हनुमान जी भक्तों पर जल्द प्रसन्न होते हैं। हनुमान जयंती के दिन तो चोला चढ़ाने का विशेष महत्व माना गया है। हनुमान जी को चोला विधि-विधान से चढ़ाना अनिवार्य होता है। बजरंगबली को चोला चढ़ाने के लिए 5 चीजें अनिवार्य होती है। इनके बिना चोला चढ़ाने का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर बजरंगबली के भक्त अपने इष्ट को चोला भी चढ़ाते हैं। कई लोग मंदिरों में चोला चढ़ाने के लिए सामग्री का भी दान करते हैं। आप भी अगर चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो इसके लिए 5 चीजें होना अनिवार्य हैं। इन चीजों में सिंदूर, इत्र, चमेली का तेल, लाल कपड़े की लंगोट और जनेऊ बेहद आवश्यक है।
हनुमान जन्मोत्सव पूजा विधि :-
हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
अब बजरंगबली की मूर्ति या प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें, जिसपर पहले से ही पीले रंग का वस्त्र बिछा हुआ हो।
बजरंगबली के समक्ष घी का दीया जलाएं।
जल छिड़कर कच्चा दूध, दही, घी और शहद मिलाकर बजरंगबली का अभिषेक करें।
बजरंगबली को लाल या पीले रंग का कपड़ा, कलावा, फूल, धूप, अगरबत्ती और दीया आदि अर्पित करें।
इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर भक्त पूजा संपन्न कर आशीर्वाद पाने की कामना करें।
इस दिन हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड और रामायण का पाठ करना चाहिए।
हनुमान जयंती तिथि :-
हनुमान जयंती 2023 तिथि- 06 अप्रैल 2023, गुरुवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 05 अप्रैल 2023 को 09:19 एएम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – अप्रैल 06, 2023 को 10:04 एएम बजे
हनुमान जयंती :- हनुमान जयन्ती एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। विष्णु जी के राम अवतार के बाद रावण को दिव्य शक्ति प्रदान हो गई। जिससे रावण ने अपनी मोक्ष प्राप्ति हेतु शिवजी से वरदान माँगा की उन्हें मोक्ष प्रदान करने हेतु कोई उपाय बताए। तब शिवजी ने राम के हाथों मोक्ष प्रदान करने के लिए लीला रचि। शिवजी की लीला के अनुसार उन्होंने हनुमान के रूप में जन्म लिया ताकि रावण को मोक्ष दिलवा सके। इस कार्य में रामजी का साथ देने हेतु स्वयं शिवजी के अवतार हनुमान जी आये थे, जी की सदा के लिए अमर हो गए। रावण के वरदान के साथ साथ उसे मोक्ष भी दिलवाया। हनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और ऊर्जा के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। यतः यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे अतः इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चाँदी का वर्क चढ़ाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी आयु के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यन्त महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जयन्ती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। स्थान स्थान पर भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जयन्ती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है।
इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शङ्कर सुवन आदि।