21 जून तक किया जाएगा कार्यशालाओं का आयोजन
मनुष्य की रोग प्रतिरोधक शक्ति में सुधार करने में मदद करती है,
ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम विधिवत शुरू हो गए हैं। जिसके तहत 21 जून 2022 तक विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ संस्थान में 75 अमृत योग महोत्सव मनाया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न वर्गों की योग कार्यशालाओं हुई। इस वर्ष आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को संस्थान विशेषरूप से (मानवता के लिए योग) महोत्सव के रूप में मना रहा है। जिसके अंतर्गत आयुष विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना की देखरेख में बीती संस्थान में विभिन्न योग विधाओं की कार्यशालाएं शुरू हो गई हैं, जो कि 21 जून 2022 तक चलेंगी। इसके तहत अलग अलग दिवस पर आसन, प्राणायाम एवं ध्यान योग आदि कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रोफेसर( डॉ) अरविंद राजवंशी ने योग से स्वास्थ्य एवं मानव जीवन पर पड़ने वाले वैज्ञानिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। आयोजित कार्यशाला में संस्थान के डीन एकेडेमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि योग शरीर, मन और आत्मा के मिलन का माध्यम है। उन्होंने बताया कि योग 5000 वर्ष से चली आ रही प्राचीन पद्घति है, जो मनुष्य की रोग प्रतिरोधक शक्ति में सुधार करने में मदद करती है, साथ ही पैरासिम्पैथैटिक गतिविधि में सुधार करती है जिससे तनाव भी कम होता है। कार्यशाला में आयुष विभागाध्यक्ष (डीन रिसर्च) प्रोफेसर वर्तिका सक्सैना ने बतौर विशेषज्ञ बताया कि हमारे ऋषि-मुनियों ने योग के द्वारा शरीर, मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताए हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं। उन्होंने बताया कि योग के आठ अंगों में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि हैं। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में कोरोना महामारी के चलते भारत द्वारा विभिन्न देशों को उपहार के रूप में मानवता और स्वास्थ्य सेवा के लिए कोविड-19 टीकों को निर्यात किया गया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत आयुष विभाग एम्स ऋषिकेश द्वारा आयोजित योग कार्यशाला में चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल व जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा.मीनाक्षी धर ने भी शिरकत की। योग कार्यशाला में संस्थान के फैकल्टी सदस्यों, एमबीबीएस स्टूडेंट्स, संस्थान के अधिकारियों, कर्मचारियों, नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मी व सफाई कर्मियों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान योग से जुड़े विभिन्न संस्थानों के योग विशेषज्ञों व योगाचार्यों की वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन भी किया गया। जिसमें एस. व्यासा संस्थान, बैंगलुरू के डॉ. अपर साहू ने बताया कि योग हमें वसुधैव कुटुंबकम् के अर्थ में पूरी दुनिया से जोड़ता है। मोरारजी देसाई संस्थान, नई दिल्ली डॉ. ईश्वर वासाबराडी ने योग के महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रतिदिन नियमिततौर पर 30 से 45 मिनट का योगाभ्यास करने से मानसिक तनाव कम होता है। यह अभ्यास सिम्पैथैटिक और पैरासिम्पैथैटिक एक्टिविटी को भी संतुलित करता है। सीसीईआरवाईएन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. राघवेंद्र राव ने योग में अनुसंधान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कई शोध पत्रों का उल्लेख किया और बताया कि योग कई स्थितियों में जैसे- बच्चों में बढ़ते तनाव आदि में फायदेमंद साबित होता है। कार्यशाला के आयोजन में रिसर्च ऑफिसर डा. अमेटी, डा. वामा, योगा इंस्ट्रक्टर दीपचंद जोशी, पीएचडी योगा स्टूडेंट्स अनीता, विकास के अलावा संदीप भंडारी, किरन बर्तवाल, बीना, अमित भारद्वाज, अत्रेस, सीमा, राहुल, रंजना, अमन आदि ने सहयोग प्रदान किया।