पहाड़वासियों की धार्मिक भावनाओं को लगा आघात : डॉ कपरवाण
1950 से उत्तराखंड में रह रहे हैं लोगों को ही माना जाए मूल निवासी : डॉ कपरवाण
देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय संरक्षक डॉ शक्ति शैल कपरवाण ने पत्रकारों से वार्ता में कहा की उत्तराखंड क्रांति दल उत्तराखंड के समस्त विधायकों से मांग करता हैं कि जून 2022 से आरंभ होने वाले विधानसभा सत्र में पहाड़ वासियों की संस्कृति पहचान, परंपरा, रीति रिवाज, संस्कार, भाषा के संरक्षण और विकास के लिए कानून बनाए। डॉ कपरवाण ने राष्ट्रीय पार्टियों की उत्तराखंड सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी पहाड़ विरोधी नीतियों के कारण उत्तराखंड देव भूमि प्राचीन हजारों तीर्थ स्थलों की उपेक्षा के कारण पहाड़वासियों की धार्मिक भावनाओं को बहुत बड़ा आघात लगा है। उन्होंने कहा की उत्तराखंड क्रांति दल सरकार और उत्तराखंड के समस्त विधायकों से मांग करता हैं कि देवभूमि उत्तराखंड की रक्षा और विकास करे। देव भूमि में प्राचीन समय से मठ मंदिर ऋषियों की तप स्थली और सैकड़ों तीर्थ खंडर स्थिति में हैं या फिर वे नष्ट हो गए हैं, उनके जीर्णोद्धार और विकास के लिए सरकार प्राथमिकता के आधार पर कार्य करे। इससे जहां देव भूमि उत्तराखंड के निवासियों की भावनाओं को सम्मान मिलेगा और दूसरी ओर उत्तराखंड के शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त होगा तथा उत्तराखंड राज्य की आय में वृद्धि होगी। यूकेडी नेता डॉ कपरवाण ने कहा कि बद्रीनाथ में वेदव्यास ने महाभारत सहित अनेक पुराणों की रचना करके पूरे पहाड़ उत्तराखंड को एक धर्म क्षेत्र बनाया बनाया और भाजपा कांग्रेस सरकारों ने पहाड़ के इन धर्म स्थानों का न तो संरक्षण किया और न ही विकास किया, जिससे पहाड़वासियों की धार्मिक सांस्कृतिक भावनाओं चोट लगी है। इसलिए सरकार उत्तराखंड के प्राचीन समस्त धर्म स्थल, सांस्कृतिक स्थलों का सर्वे कर उनका विकास करे। डॉक्टर कपरवाण ने सरकार से यह भी मांग की उत्तराखंड क्रांति दल वर्षों से यह मांग करता आ रहा है कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1950 में मूल निवास के संदर्भ में जो अध्यादेश जारी किया था, उसको लागू किया जाए अर्थात जो लोग 1950 से उत्तराखंड में रह रहे हैं, उनको ही उत्तराखण्ड का मूल निवासी माना जाए।
उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि उत्तराखंड की विकास की नीति मूल निवासियों को और पहाड़ को केंद्रीकृत करके बनाई जाए तथा सरकारी कार्यालय, विभागों, सरकार द्वारा पोषित गैर सरकारी विभागों में पहाड़ वासियों और उत्तराखंड के मूल निवासियों को ही नियुक्तियां दी जाए, ताकि उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर को घटाया जा सके। उत्तराखंड के सेवायोजन कार्यालयों में उत्तराखंड के मूल निवासी बेरोजगारों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए ताकि पंजीकृत बेरोजगारों को ही उत्तराखंड में रोजगार के दिए जा सकें।
प्रेस वार्ता में सुनील ध्यानी, विजय बौडाई, जय प्रकाश उपाध्याय, शांति प्रसाद भट्ट, विपिन रावत, दीपक रावत, सुमिर डंगवाल आदि उपस्तिथ थे।