देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की गंगा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इसी दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार इस स्तोत्र को पढ़ता है चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उस फल को पाता है। यह दशहरा के दिन स्नान करने की विधि पूरी हुई। स्कंद पुराण का कहा हुआ दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र और उसके पढ़ने की विधि – सब अवयवों से सुंदर तीन नेत्रों वाली चतुर्भुजी जिसके कि, चारों भुज, रत्नकुंभ, श्वेतकमल, वरद और अभय से सुशोभित हैं, सफेद वस्त्र पहने हुई है।
मुक्ता मणियों से विभूषित है, सौम्य है, अयुत चंद्रमाओं की प्रभा के सम सुख वाली है जिस पर चामर डुलाए जा रहे हैं, वाल श्वेत छत्र से भलीभाँति शोभित है, अच्छी तरह प्रसन्न है, वर के देने वाली है, निरंतर करुणार्द्रचित्त है, भूपृष्ठ को अमृत से प्लावित कर रही है, दिव्य गंध लगाए हुए है, त्रिलोकी से पूजित है, सब देवों से अधिष्ठित है, दिव्य रत्नों से विभूषित है, दिव्य ही माल्य और अनुलेपन है, ऐसी गंगा के पानी में ध्यान करके भक्तिपूर्व मंत्र से अर्चना करें। ‘ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’ यह गंगाजी का मंत्र है।
इसका अर्थ है कि, हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इससे गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। इस प्रकार गंगा का ध्यान और पूजन करके गंगा के पानी में खड़े होकर ॐ अद्य इत्यादि से संकल्प करें कि, ऐसे-ऐसे समय ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक रोज-रोज एक बढ़ाते हुए सब पापों को नष्ट करने के लिए गंगा स्तोत्र का जप करूँगा। पीछे स्तोत्र पढ़ना चाहिए। ईश्वर बोले कि, आनंदरूपिणी आनंद के देने वाली गंगा के लिए बारंबार नमस्कार है।
यदि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है। वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।