उत्तराखंड समाचार

पृथ्वी की सुरक्षा के लिये सोच-समझ कर करना होगा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग

वही दूसरी ओर हम 1.75 गुना तेजी से पृथ्वी के संसाधनों का लगातार उपयोग कर रहे हैं।

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पृथ्वी संरक्षण माह के अवसर पर कहा कि हमारे पास अपने घर के रूप में केवल एक ही पृथ्वी है। पृथ्वी हमारी माँ है, हम सभी को पोषण, आश्रय और सुरक्षा प्रदान करती हैं। पृथ्वी सभी प्रजातियों के साथ समान व्यवहार करती है। वही दूसरी ओर हम 1.75 गुना तेजी से पृथ्वी के संसाधनों का लगातार उपयोग कर रहे हैं। यदि यही स्थिति बनी रहती है तो जल्द ही ऐसा समय आएगा जब हम साल की शुरुआत में ही एक साल के संपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर देंगे इसलिये हमें अपनी और पृथ्वी की सुरक्षा के लिये प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सोच-समझ कर करना होगा। स्वामी ने कहा कि हमें प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हुए विकास के कुछ नए विकल्पों को खोजना होगा तथा प्रकृति और पृथ्वी के साथ सद्भावपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देना होगा ताकि वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों की पर्यावरणीय आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। अप्रैल माह धरती के संरक्षण की नींव का माह है इसलिये पृथ्वी के संरक्षण के संकल्प के साथ पर्यावरण को बचाने की मुहिम शुरू करनी होगी।स्वामी जी ने कहा कि अपने ग्रह को बचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है इसलिये सभी को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा। विकास मानवता के लिये सबसे बड़ी जरूरत तो है ही साथ ही सबसे बड़ी चुनौती भी है। वर्तमान समय में विकासात्मक प्रगति ने पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपूरणीय क्षति को दर्शाना शुरू कर दिया है इसलिये पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन किये बिना विकास के लक्ष्यों का पालन किया जाना चाहिये। साथ ही हम सभी को पर्यावरण हितैषी वस्तुओं का उपयोग करना होगा जिससे प्लास्टिक अपशिष्ट में भी कमी आयेगी। स्वामी ने सभी को वृक्षारोपण व जल संरक्षण और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया।

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