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किस नियम के अंतर्गत विद्यालयों को दी जा रही लूट की छूट : सचिन गुप्ता

देहरादून, 04 अप्रैल। आज भाजपा नेता एवं समाजसेवी सचिन गुप्ता ने उत्तराखंड शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर निजी स्कूलो द्वारा फीस वृद्धि को लेकर चल रही मनमर्जी के खिलाफ चल रहे जनाक्रोश के समाधान व शिक्षा विभाग द्वारा हर तीन वर्ष में स्कूलो को 10 प्रतिशत फीस वृद्धि करने की खुली लूट की छूट की कड़ी निंदा करते हुए कुछ सवाल भी शिक्षा विभाग से किए। सचिन गुप्ता ने शिक्षा विभाग से जानना चाह की हर तीन साल में 10प्रतिशत फीस वृद्धि करने की छूट विद्यालयों को किस नियम के अंतर्गत दी जा रही है? क्या विधालय संचालकों द्वारा हर तीन वर्ष में अपने विद्यालयों के शिक्षक गणों की तनख्वाह वृद्धि भी 10प्रतिशत की दर से करेंगे? क्या विधालय संचालकों द्वारा नगर निगम टैक्स, विद्युत बिल,जल कर, आदि सरकारी भुगतान भी हर तीन वर्षो में 10प्रतिशत की दरों से बढ़ाकर सरकार को करेंगे? क्या सरकारी विद्यालयों के जीर्णोध्दार हेतु विभाग हर तीन वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ाकर देता है? क्या सरकारी शिक्षक गणों को भी हर तीन वर्षो में 10प्रतिशत वेतन बढ़ाकर दिया जाता है? क्या गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए हर तीन वर्षो में आरटीई के 10प्रतिशत अतिरिक्त दाखिले कराए जायेंगे? क्या शिक्षा विभाग इस बात को लिखित प्रमाणित कर सकता है कि एक मध्यम परिवार की आय हर तीन वर्षो में 10% की दर से बढ़ती है? और यदि उपरोक्त बिंदुओं पर निजी विधालय या शिक्षा विभाग पूरी नहीं करता है तो किस लिए हर तीन वर्ष में इनको 10% फीस बढ़ाकर दी जाये? सचिन गुप्ता ने शिक्षा सचिव को यह भी अवगत कराया की सभी बड़े विद्यालयों में पहले से ही इतनी अधिक फीस ली जा रही है कि गरीब परिवार का बच्चा तो वहां पढ़ने की सोच भी नहीं सकता और मध्यम परिवार का बच्चा जो आज किसी तरह 10 तरह की अपने खर्चों में कटौती कर अपने बच्चों को पढ़ा रहा है वो भी शिक्षा विभाग के विद्यालयों की मनमर्जी को देखकर भी आंख बंद करने के कारण भविष्य में नहीं पढ़ा पायेगा I

सचिन गुप्ता ने शिक्षा सचिव से मांग की है कि विधालय शिक्षा का मंदिर होते है यहा गरीब हो या अमीर सभी के बच्चों को अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का पूरा अधिकार है इसलिए विद्यालयों की मनमर्जी को रोकने के लिए, गरीब जन के परिवारों के बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में सस्ती शिक्षा ग्रहण हो सके उस हेतु पहले आओ-पहले पाओ के नियम के अनुसार न्यूनतम फीस के साथ 50% आरक्षण तय जायेI

 

 

 

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