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उत्तराखंड समाचार

माल्टा देख भावुक हो गये उत्तराखंड राज्य के पूर्व सीएम रावत

शराब और बजरी माफिया के चंगुल में है और पलायन व आर्थिक असंतुलन का भयंकर डंक (विष) झेल रहा है।

देहरादून, 25 मार्च। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गैरसैंण से आए माल्टा के प्रचार के चक्कर में भावुक हो गए। बोले, गैरसैंण के लिए मैंने कुछ सपने देखे और दिखाए भी थे। लेकिन आज देख रहा हूं कि गैरसैंण व उत्तराखंडियत के अपमान के साथ राज्य में पलायन, कुव्यवस्था, भ्रष्टाचार और लूटपाट का बोल बाला है। बेरोजगारी चरम पर है, नशे से युवा बर्बाद हो रहे हैं। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, माल्टे के प्रचार के चक्कर में मैं कुछ भावुक हो गया। माल्टे गैरसैंण से आए थे। गैरसैंण को लेकर मैंने खुद भी कुछ सपने देखें और आपको भी दिखाए थे। शानदार विधानसभा भवन बना, विधायक निवास बना, सचिवालय बनाने के लिए निर्माण एजेंसी तय की लगभग 50 करोड़ रुपये स्वीकृत किये, 500 भवनों के निर्माण के लिए स्थान का चयन किया, हेलीपैड, सड़क, विद्युतीकरण, पानी की व्यवस्था के साथ-साथ गैरसैंण अवस्थापना का गठन कर 8 ऐसी सड़कें जिनसे गैरसैंण शेष उत्तराखंड से और बेहतर तरीके से जुड़ सकें उसका गठन किया और भी दर्जनों ऐसे उपाय किये जिसमें गैरसैंण-चौखुटिया विकास परिषद का गठन तथा भराड़ीसैंण टाउनशिप के विकास के लिए यू हुड्डा नामक संस्था का गठन किया। राजनीति करने में चूक गया, यदि मैंने भाजपा के तरीके से हवाई राजधानी घोषित कर दी होती तो भाजपा के ट्रॉलर्स को जुम्मे की नवाज, मुस्लिम यूनिवर्सिटी, छठ की छुट्टी आदि याद नहीं आ रही होती। यूं बताते चलूं कि भाजपा की 2017 की सरकार और 2022 की सरकार का जन्म जुम्मे की नवाज और मुस्लिम यूनिवर्सिटी के झूठ के गर्भ से हुआ। इसलिये आज सारा उत्तराखंड भटका-भटका सा है, शराब और बजरी माफिया के चंगुल में है और पलायन व आर्थिक असंतुलन का भयंकर डंक (विष) झेल रहा है। लगता है मुझसे भाजपाई इस बुढ़ापे में भी बहुत डरे हुए है मैंने उनको चुनौती दी है कि वह जुम्मे की छुट्टी का वह आदेश जिसके माध्यम से आपके स्कूल, अस्पताल और सरकारी कार्यालयों में छुट्टी हुई हो उसे दिखा दें तथा मैंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी का वादा किया है, उसकी किसी मान्यता प्राप्त समाचार पत्र की कटिंग या चैनल में मेरा बयान दिखा दें तो मैं माफी मांगूंगा और राजनीति छोड़ दूंगा और भाजपा के किराए के ट्रॉलर्स का काम हल्का हो जाएगा।

अब जब मैं देख रहा हूं कि निरंतर गैरसैंण, गैरसैंणियत, उत्तराखंड और उत्तराखंडियत के अपमान के साथ-साथ राज्य में पलायन, कुव्यवस्था, भ्रष्टाचार और लूट पाट का बोल बाला है और बेरोजगारी चरम पर है तथा नशे की लत में हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है तो कुछ भावनाएं उद्वेलित हो गई और मैं कुछ शब्द गुदगुदा गया, शायद एकाध आंसू भी छलक गए। क्षमा करें! घोर भाजपाइयों और उनके ट्रॉलर्स की भावना को समझते हुए भी मैने शायद कुछ ऐसा कह दिया जिसमें कुछ लोगों को मुझसे कई-कई सवाल करने पड़े! मुझे उत्तराखंड की लगभग 25 साल की यात्रा में लगभग 3 वर्ष मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का सौभाग्य मिला, वह भी ऐसे समय में जब सारा राज्य आपदा से क्षत-विक्षत था, अर्थव्यवस्था चौपट हो गई थी। चारधाम यात्रा और पर्यटन ठप हो गया था। 7000 से ज्यादा लोग कालकल्वित हो गए थे, लाखों लोगों की आजीविका खंडित हो गई थी। मैंने इस काल खंड में क्या किया इसका सही-सही मूल्यांकन किए बिना उत्तराखंड को आज के तरीके से ही भटकना पड़ेगा, शेष रहे डेढ़ साल में मैंने धन बल और केंद्र सरकार की सत्ता बल आधारित दल-बदल झेला और राष्ट्रपति शासन झेला। जब मुझको अल्मोड़ा ने सांसद बनाया तो मैंने निष्ठापूर्वक संसद की कारवाई में प्रत्येक दिन अल्मोड़ा व पहाड़ शब्द को अंकित करवाया। जब हरिद्वार संसदीय क्षेत्र ने मुझे सांसद बनाया प्रत्येक गांव में गया, हर खेत और गौशाला के लिए मैंने बीज से लेकर पशु आहार, चिकित्सा व तकनीकी ज्ञान पहुंचाने का काम किया, तीन दर्जन बड़े ग्राम समूह में शुद्ध पेयजल धरती के गर्भ से निकालकर नल से पहुंचाया, पंचपुरी में जाकर पूछ लें, दर्जनों पुल और सड़कों के साथ हरिद्वार को एक विकास मॉडल के रूप में आगे बढ़ाया, ESI का मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करवाया, सबसे बड़ी बात तो ये है कि मैं सांसद के रूप में हरिद्वार के डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को उनके नाम या सरनेम से पुकारता था और लगभग 30-35 प्रतिशत लोगों को चेहरे से पहचानता था जिसमें थोड़े बड़े बच्चे भी सम्मिलित हैं, फिर भी यदि उत्तराखंड मेरी सेवाओं में कुछ कमी रह गई है तो मैं उसकी भरपाई माल्टा, गन्ना, नींबू, गेठी, गुड़, काफल, सकरगंधी, बिच्छू घास आदि के साथ कर रहा हूं। हां मैं माल्टा और काफल ब्रांड की शराब नहीं बिकवा पाया, शायद भाजपाई ट्रॉलर्स इसीलिए मुझ पर दनादन है।

 

 

 

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