7 लाख 22 हजार में बिका वीआईपी नंबर
वर्तमान सीरीज एफएस से ही विभाग को 17 लाख 98 हजार रुपये की कमाई हुई है।
देहरादून। राजधानी देहरादून में वीआईपी नंबरों का क्रेज बढ़ता जा रहा है। यह शौक इस कदर हावी है कि परिवहन विभाग की वर्तमान सीरीज में एक वीआईपी नंबर को वाहन स्वामी ने सात लाख रुपये से अधिक कीमत चुकाकर खरीदा है। इसके अलावा 11 हजार से दो लाख रुपये की कीमत चुकाकर वीआईपी नंबर खरीदने वाले वाहनस्वामियों की संख्या भी खासी है। परिवहन विभाग इन नंबरों को बेचकर खूब मालामाल हो रहा है। वर्तमान सीरीज एफएस से ही विभाग को 17 लाख 98 हजार रुपये की कमाई हुई है। आरटीओ सुनील शर्मा ने बताया कि परिवहन विभाग पिछले कई सालों से वीआईपी नंबरों को बोली लगाकर आवंटित करता है। इसमें सर्वोच्च मांग वाले वीआईपी नंबर को सर्वोच्च बोलीदाता को प्रदान किया जाता है। प्रत्येक सीरीज में 32 वीआईपी नंबर होते हैं। वर्तमान में विभाग की एफएस सीरीज चल रही है। इसमें 22 फैंसी नंबरों का आवंटन किया जा चुका है। सीरीज में सबसे अधिक कीमत 0001 नंबर की लगी है। इसे जीटीएम बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स ने 7 लाख 22 हजार रुपये में खरीदा है। वहीं, 0009 नंबर को दो लाख 9 हजार रुपये में हेरिटेज इंफ्रास्पेस ने खरीदा है। 9999 नंबर को आशीष नेगी ने एक लाख 60 हजार रुपये में खरीदा। 0007 नंबर के लिए मनीष सिंह ने एक लाख 9 हजार रुपये चुकाए हैं। वीआईपी नंबरों का बजट से भी सीधा कनेक्शन है। जैसा बजट, वैसा नंबर इसलिए बहुत अधिक महंगे नंबर लेने वालों की अपेक्षा सामान्य बजट वाले नंबरों को खरीदने वाले वाहन स्वामी हमेशा अधिक होते हैं। इस बार की सीरीज में भी ऐसा ही रहा। चुनिंदा नंबरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश नंबर 11 हजार से 84 हजार रुपये के बीच रहे। 0003 नंबर 84 हजार रुपये में बिका, जबकि 7000 नंबर 29 हजार में। इसके अलावा, 9000, 7777, 7000, 5555, 1111, 0999, 0777, 0100, 0099, 0077, 0055, 0011, 0008, 0006, 0005, 0004, 0002 नंबर 10 हजार से 29 हजार रुपये के बीच बिके। अधिकांश लोगों ने इन्हीं नंबरों में से अपना पसंदीदा नंबर चुना। एफएस सीरीज से पहले एफआर सीरीज में भी वीआईपी नंबरों को लेकर खासा क्रेज था। इस सीरीज के 0008 नंबर के लिए 70 हजार रुपये कीमत लगाई गई थी, जबकि 1111, 3333, 4444 और 8888 को 25 हजार रुपये में बेचा गया। 0001 नंबर का क्रेज हमेशा से अधिक रहा है। राजधानी देहरादून में वर्ष 2022 में 0001 वीआईपी नंबर 7 लाख 66 हजार रुपये में नीलाम हुआ था। यह राज्य गठन के बाद किसी नंबर के लिए लगी सबसे अधिक बोली थी।