उत्तराखंड समाचारधर्म

करवाचौथ के व्रत को लेकर बाजारों में रही चहल-पहल

सुहागिनें 13 अक्तूबर को रखेंगी करवाचौथ का निर्जल व्रत : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

देहरादून। करवाचौथ के व्रत को लेकर आज देहरादून के बाजारों में खूब चहल-पहल रही। बड़ी संख्या में महिलाओं ने दुकानों से खरीदारी की। इस मौके पर व्यापारियों ने भी अच्छी आमदनी हुई। महिलाओं में व्रत को लेकर काफी उत्साह है। हर साल की तरह इस बार भी करवाचौथ के व्रत को लेकर बाजारों में खूब रौनक रही। एक ओर सड़कों में भीड़-भाड़ रही वहीं दूसरी ओर दुकानों में खरीदारी के लिए महिलाओं की लाइन लगी रही। श्रृंगार की दुकानों में महिलाओं ने सुबह से लेकर देर शाम तक सामान खरीदा। वहीं व्यापारियों ने भी बेहतर कारोबार पर खुशी जताई। गुरुवार को महिलाएं पति और परिवार की लम्बी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी। देर रात भगवान गणेश और चांद की पूजा अर्चना करने के बाद महिलाएं व्रत खोलेंगी।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें करवाचौथ का निर्जल व्रत 13 अक्तूबर गुरुवार को रखेंगी। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ व्रत रखने से पति के जीवन में किसी भी तरह का कष्ट नहीं आते हैं। साथ ही पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की 13 अक्तूबर गुरुवार के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात में दो बजकर 58 मिनट तक है। कृतिका नक्षत्र शाम सात बजकर 43 मिनट पश्चात रोहिणी नक्षत्र है। चंद्रमा रोहिणी से अत्यंत प्रेम करते हैं। इसलिए इस दिन व्रत रख रोहिणी नक्षत्र में पूजन करने से सुहागिनों के पति को दीर्घायु होते हैं और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। इसके साथ ही इस दिन सिद्धि योग भी बन रहा है। जो श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूर्ण करेगा। वहीं चंद्रमा की स्थिति वृषभ राशि पर होने से वह उच्च स्थिति में रहेंगे।
ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ का व्रत करने से पति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आता है। साथ ही पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। करवाचौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा के पूजन करने का विधान है। बताया कि महाभारत से संबंधित पौरणिक कथा के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि वह कर्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि-विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है। इससे उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जल व्रत रख शाम को भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करें। उनके समक्ष लड्डू रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र और दक्षिणा समर्पण करें। विधि-विधान से पूजन करें। करवाचौथ की कथा सुनें या स्वयं वाचन करें। चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दें। इसके पश्चात निराजल व्रत का पारण करें।
अर्घ्य मुहूर्त का समय :- चंद्रोदय शाम सात बजकर 54 मिनट पर होगा। उसी समय व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर करवा चौथ की पूजा संपन्न करेंगी। इसके बाद वह पति को देखते हुए व्रत का पारण करेंगी।

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