उत्तराखंड समाचारधर्म

छह माह शीतकाल के लिए भगवान केदारनाथ के कपाट बंद

बाबा केदार के पुजारी और भक्तजन भक्ति-भावना से अभिभूत होकर भगवान को फूलों, चंदन और केसर से सजाकर अंतिम दर्शन की तैयारी में थे

देहरादून। आज भैया दूज के शुभ अवसर पर, उत्तराखंड के पवित्र धाम महादेव के निवास केदारनाथ धाम में भक्तों का मेला लगा हुआ था। चारों ओर वातावरण में भक्ति का भावपूर्ण माहौल था, और भक्तों के हृदय में महादेव की विदाई की पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी। अब छह माह शीतकाल के लिए भगवान केदारनाथ जी के कपाट बंद होने जा रहे थे, और भक्त अपने आराध्य को विदा करने के लिए नम आँखों के साथ मंदिर प्रांगण में उपस्थित थे। बाबा केदार के पुजारी और भक्तजन भक्ति-भावना से अभिभूत होकर भगवान को फूलों, चंदन और केसर से सजाकर अंतिम दर्शन की तैयारी में थे। भगवान का अभिषेक और आरती की विशेष पूजा संपन्न की गई। भक्तजन हाथ जोड़कर, सजल नेत्र और विकल मन से भगवान को निहार रहे थे, जैसे कि, वे अपने जीवन का सबसे कीमती क्षण व्यतीत कर रहे हों।ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, भक्तों का हृदय और भारी होता गया। भक्ति रस में डूबे केदारभक्त जयकारा लगा रहे थे “जय बाबा केदारनाथ” ज़ब कई कंठ से निकला तो केदारपुरी में और ऊँची आवाज़ में गूंजता हुआ ‘महादेव’ का नाम, आकाश में घुलता जा रहा था। जैसे-जैसे पुजारी कपाट बंद करने की प्रक्रिया की ओर बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे भक्तों के मन में भगवान से बिछड़ने का भाव उमड़ने लगा था। भक्तों का यह विश्वास है कि, छह महीने के लिए महादेव इस पावन स्थल को छोड़कर अब अपने धाम कैलाश की ओर प्रस्थान करेंगे। कपाट बंद होने से ठीक पहले भगवान केदारनाथ को भोग चढ़ाया गया। जिसके बाद पुजारी ने मुख्य द्वार को धीरे-धीरे बंद करने की क्रिया आरंभ की, भक्तों ने अपने आराध्य को इस वर्ष का अंतिम नमन किया और उनके अगले वर्ष दर्शन करने की मीठी ललक को अपने भीतर संजो लिया। अंततः वह क्षण आया जब पुजारी जी ने भक्तों को भगवान की शीतकालीन विदाई का संकेत दिया। भगवान के कपाट बंद होते ही भक्तों के हृदय जैसे रुक गए, आँखें और अधिक अश्रुपूरित हो गईं। एक दूसरे के साथ मिलकर सभी भक्तों ने भगवान से पुनः छह माह बाद वापसी की विनती की, “हे महादेव, शीघ्र ही अगले वर्ष में पुनः प्रकट होकर हमें दर्शन दें और हमारे जीवन को पुनः आलोकित करें।” अब छह महीने की इस विदाई में, भक्तों के दिल में आस्था के दीप जलते रहेंगे। साक्षात् ना सही बाबा केदार स्वप्न में मिलते रहेंगे। हर भक्त इस प्रतीक्षा में रहेगा कि, छह माह के बाद फिर से जब कपाट खुलेंगे, तो पुनः महादेव का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होगा। इस भक्ति भाव से भरी विदाई ने हर किसी के हृदय को प्रेम और आस्था के रंग में रंग दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button