डाॅ. बीकेएस संजय कबीर कोहिनूर अवार्ड से सम्मानित
कबीर एक ऐसे संत थे जो किसी भी संप्रदाय और रुढ़ियों की परवाह किए बिना समाज को खरी-खरी बातों से अपना संदेश देते थे
देहरादून। सतगुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान, नागौर, राजस्थान एवं सतगुरु कबीर समाधि स्थली, मगहर, संत कबीर नगर उत्तर प्रदेश द्वारा जन कल्याणकारी एवं सामाजिक समरसता के राष्ट्रहितकारियों में लगे हुए पद्म श्री से सम्मानित डाॅ. बीकेएस संजय को डाॅ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र नई दिल्ली में कबीर आश्रम सेवा संस्थान, नागौर, राजस्थान के महाराज नानक दास एवं अहिंसा विश्व भारती के लोकेश मुनि महाराज के कर कमलों से, बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, महाभारत के अभिनेता विश्वंबर बुधौलिया एवं अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में कबीर कोहिनूर अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। भारत भूषण महंत नानक दास ने कहा कि महाराज संत शिरोमणि कबीर का जन्म 500 साल पहले हुआ और उन्होने जो बातें सामाजिक उत्थान तथा सामाजिक समरसता के लिए बताई वह आज भी समाज के उत्थान एवं राष्ट्रनिर्माण के लिए हितकारी है। पद्म श्री डाॅ. बीकेएस संजय ने कहा कि संत शिरोमणि कबीर दास सर्वधर्म सद्भाव के प्रतीक थे और वह एक महान समाज सुधारक थे। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ जब भारतीय समाज धर्म की रुढ़ियों एवं आडम्बरों में जकड़ा हुआ था। एक तरफ मुसलमानों और हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं में जो लड़ाई चल रही थी, ऐसे समय में कबीर ने अपने विचारों से समाज को एक नई दिशा दी। कबीर एक ऐसे संत थे जो भारतीय संस्कृति “वसुधैव कुटुम्बकम्“ एवं मनसा वाचा कर्मणा के सिद्धांत को मानते थे एवं व्यवहारिक तौर पर अपने जीवन में भी अपनाते थे। कबीर एक ऐसे संत थे जो किसी भी संप्रदाय और रुढ़ियों की परवाह किए बिना समाज को खरी-खरी बातों से अपना संदेश देते थे। कबीर ने अपने संदेश में भाईचारा, प्रेम और सत्य की भावना का जो संदेश समाज को दिया वह प्रेरणादायक एवं अतुलनीय है। उन्होंने जीवन जीने का जो मंत्र दिया उसका यह एक उदाहरण है- “ढ़ाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होए“। इसी का यह परिणाम है कि पूरे भारतवर्ष में हर धर्म, हर समुदाय और हर जाति के लोग इन्हें अपना मानते हैं।